रूसी युवकों के बीच | Roosi Yuvakon Ke Beech

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Roosi Yuvakon Ke Beech by डॉ सर्वपल्ली राधाकृष्णन - Dr. Sarvpalli Radhakrishnanरामकृष्ण बजाज - Ramkrishn Bajaj

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सोवियत सथ का जन-जीवन पठते श्र परीक्षा में बैठते है। विश्वविद्यालय की इमारत वहत्‌ भव्य - और प्रभावशाली है | इसमे हजारों कमरे और १५० लेक्चर हाल हैं । सुन्दर बगीचे, उपवन और खेल के मैदान भी है । : भास्को में जमीन के श्रन्दर चलनेवाली रेल-गाडिया, जिन्हे मैट कहते है, सोवियत सघ की एक आ्राघुनिक वैज्ञानिक उपलब्धि है। यूरोप और एशिया के देशो मे बनी हुई ऐसी रेलो की शअपेक्षा यह अधिक उत्तम और सुन्दर है। श्रमरीका में जो ऐसी रेलें है, उनको अ्रभी तक मैंने नही देखा है। फिर भी उनके बारे भे मैने जो कुछ सुना है, उससे मै कह्‌ सकता हु कि मास्को की रेल-व्यवस्था उससे भी बढ़- करहि 1१ इसकी लम्बाई केवल ७० किलोमीटर (४३.४५ मील) है, जिसपर ४७ स्टेशन है । इनकी बनावट बहूत्‌ सुन्दर है । लगभग सारे स्टेशनो पर ऊपर लाने-लेजानेचाली बहुत भ्रच्छी चलती हुई सीटिया लगी है । हर स्टेशन सगमरमर का बना है और उनकी रचना अलग प्रकार की है । इनकी छतो मे सुन्दर रग-बिरगी बत्तियो के कूमर लटक रहे है । दीवारो पर सुन्दर कलापूर्ण चित्र बने हुए है । दीवारें मोज़ेक की और फर्श भी सगमरमर का चिकना तथा चमकदार है। सारी रचना इतनी सुन्दर और कलापूर्ण है कि किसी भी देश को उसपर गर्व हो सकता है । मास्को मे एक स्थायी श्रौद्योगिक तथा कृषि-प्रदशिनी है । मुख्य मण्डप वहत बडा है। उसके अलावा रूस के प्रत्येक गणराज्य के लिए अलग-अलग मण्डप बने हुए है। भिन्‍न-भिन्‍न योजनाओ के शअ्रतर्गत प्रत्येक राज्य मे कितना काम हुआ है, इसके चित्र श्राफ दारा बत्ताये गए है। इन ग्राफो को समय-समय पर बदल भी दिया जाता है, जिससे देखनेवालो को ताजा-से-ताजा जानकारी मिलती रहे, इनमे बताये गए झाकडे बडे प्रभावोत्पादक प्रतीत होते है । $ इसके बाद में अ्रमरीका गया था और अब कह सकूता हू कि सोवियत रूस की इन रेलों के बारे में मेरा अनुमान सही है ।




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