मेरे सपने | Mere Sapane

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : मेरे सपने  - Mere Sapane

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about भगवतीप्रसाद वाजपेयी - Bhagwati Prasad Vajpeyi

Add Infomation AboutBhagwati Prasad Vajpeyi

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
निर्माल्य ३ किसी को में दे नहीं सकता । हाँ, सभ्यता ने शिष्टाचार जो मुभे दिया है, वह ज़रूर मेरे पास है। उसे कोई थी मुझसे पा सकता है। में जो यहाँ आ नहीं रहा था, मंगल उसका कारण जानता है | गाड़ी पर मैंने उससे ज़ोर देकर क॒द्दा भी था कि वहाँ विन्द अगर आ जायगी, तो में चला जाऊँगा। में नहीं चाहता कि वह् आये और मुझे परीशान करे | इस पर वह दुष्ट मुसकराने लगा था। फिर बोल उठा था-में नहीं चाहता कि आप अपने को और धोखा दें । तब वहाँ उससे एक भड़प हो गई थी । मेंने कहा था-तो फिर मैं नहीं ज्ञाऊंगा | गाड़ी खड़ी कर दो, में यहीं उत्तर जाता हैँ । अगर तुमने गाड़ी खड़ी न की, तो में कूद पड़ गा। परवाह नहीं, मुझे चोट लग जाय । इस पर उसने वचन दिया था कि वह तो अपने होस्टेल में है। आजकल पढ़ाई के दिन हैं। वह' आने क्‍यों लगी ? आप घबरायें नहीं, वह आ नहीं सकती । उसे कया पता कि आप आये है ! इस तरह पहले ह्वी से मेंने सारी बातें पक्की कर ली थीं। लेकिन तो भी मैंने देखा, कमरे में पेर रखते ही जिसने आँखों में द, देह में वारुणी और अधघरों में आह्ाद भरकर मुझसे नमस्ते किया था वह बिन्दू थी । खाना खाते समय मंगल ने कद्दा था कि कान्फ़रेंस तो कल समाप्त हो जायगी, किन्तु आपको एक-आधघ दिन और रुकना पड़ेगा | देश के लिए आपने विचार क्ये हैं, रफूर्ति दी है। उस पर मरना आपने सिखलाया है। मानता हूँ। किन्तु इस चीज़ से परे भी आपके जीवन का एक और पहलू है । श्रौर वह है फाव्य । देश की समस्याओं का महत्व आज के लिये है । कल के भविष्य में वे कंवबल्त इतिहास के लिये रह जायंगी। कवि इस जीवन से ऊपर की चीज़ है। वरतेमान में वह सीमित नहीं रहता । उसकी




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now