बाणभट्ट का साहित्यिक अनुशीलन | A Literary Study Of Bana Bhatta

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A Literary Study Of Bana Bhatta by लक्ष्मीकान्त दीक्षित - Lakshmikant Dixit

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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र १ के बाव सिंहनाद ने हे को प्रेरित किया है । बहि साक्ष्य तथा अन्त साक्ष्य के जाधघार पर भी बाण' का यही श्रमय निश्चित होता है। पहले बहिसादय के आधार पर निक्ष्पणा किया जा रहा है | राजबूडामाणि दीजित अपने फक्मिणीकल्याण महाकाज्य में बाण की प्रशंसा करते हे । राज्युडमणि का समय १६ वी शताब्दी ई० का प्रारम्म हे । र ४ वामनभट्टबाण ने वेममृपाल्चरित में बाणा की प्रश्सा की हैं । इनका समय १५ वी शताब्दी ई० है | ६ सगादेवी मधुराविजय में बाण की भारती की प्रशंधा करती हैं । गगादेवी का समय ९४ वी शताब्दी ई० का उचरार्द्ध हैं । খরচ साला आफ माफ मल बम এরা आज: भाव গা जगह: जा हद चमक जहा भा; आयह आय রাজা রাম আরা, বারা বাছা সাহা খারা আর রাডার साल গার जा গার, রা आधा आया हक खाक आयाकः कक 1 111 1 1 1 1 1 1 1 1 ए ए | { ७०४४९. } 420 8000 5 ०886. #6 उष ४०४ 9150৮ 2০৮ ০৮০ 08591 8 93-7৮-803. (গুন 2 29025529553) 5 ए01.7, 0১821, ₹- हर्णा0, ६1४५-४७ २- बाण: धुरीण: कविपुगवेष- एकाश्ताः मव्यफलोदयब्री: | अमुन्बमानी ऽ पि गुण परेः विव्याध ममि विजेत य: 11 र च्िणकल्याणः ९ ९ ३- वहो, मुमिकि, पुण र८ 1 ४- जाणादन्ये कवय; शणाः चहुं घएखगच्छ रण । इति जगति श्ढमयशो वामनबाणऽषमा्टि वत्छकृर; ॥ बैममृुपालब रत, उच्छुवास १, पृण २। ५-~ ॐ.) 8 0309 282 2 838৮০ 07 01888108 न &- वाणपाणिपसापृष्टवीणनतिक्वाणहारिणनष्‌ । भावयन्ति कथं वान्ये बाणभटूटस्य भारतीम्‌ ।। मधुराविजय ९।८ | | | |




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