पुरानी हिंदी | Purani Hindi

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Purani Hindi by विश्वनाथ प्रसाद मिश्र - Vishwanath Prasad Mishra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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पुरानी हिंदी ११ मह पुरानी कविता विखरी हुई मिलती है कोई मुक्तक श््गार रस की कविता कोई वीरता की प्रशसा कोई ऐतिहासिक वात कोई नीति का उपदेप कोई लोकोक्ति श्रौर वह भी व्याकरण % उदाहरणों में या दथाप्रमग में उद्धत । मालूम होना है कि इस भाषा का साहित्य बडा था । उसमें महाभारत श्र रामायण की पूरी या उनके श्राश्रय पर बनी हुई छोटी छोटी कथाएँ थी । ब्रह्म श्र मुंज नाम के कवियों का पता चलता है। जैसे प्राकृत के पुराने रूप भी श्यगार की चटकीली मुक्तक गाथान्ो मे सातवाहन की सप्तशतो या जैन घ्मप्रयो मे हैं वैसे पुरानी हिंदी के नमूने भी या तो श्द्गार या थीर रस के अथवा कहानियों के चुटकुले हैं या जेन घामिक रचनाएँ । टेमसचद्र की दठी घड़ाई कीजिए कि उसने प्राकृत उदाहरणों में तो पद वा वाययों के टकडे ही दिए पर ऐसी कविताओं के पूरे छद उद्घृत किए । इसका कारण यही जान पडता है कि जिन पड़ितो के लिये उसने व्याकरण बनाया वे साधारण मनृप्यों की भाखा कविता को वैसे प्रेम से नहीं कठस्थ करते थे जैसे सम्कृंत श्रौर प्राकृत को । सस्कृत के इलोक श्रीर प्राकृत की गाथा की तरह दस कविन्प का राजा दोहा है । सोरठा छप्पय गीत झ्रादि झौर छद भी है पर इधर दोहा घ्नौर उधर गाया हूं पुरानी हिंदी श्रौर प्राकृत का भेदक है । दोहा का नाम वर्य सरइतानिमानि योने दोधक बनाया हैं कितु शाब्दिक समानता को छोडफर घसमें कोर्ट सार नदी है श्रौर सस्कृत मे दोधक छद इसरो होने से इसमें घोधे की सामग्री भी है । दोहा पद की निरुक्ति दो की सस्या से है जेसे चौपाई शघ्रौर छप्पय की--दो न पद दो + पथ या दो + गाथा । प्रवघचितामशि में एफ जगह एक प्राकृत वा दोघक भी दिया है जो दोहा छद में है । पूर्वांधघ सपादलक्ष अ्जमेरन-्सॉभिर के राजा ने समस्या की तरह भेजा था श्रौर उत्तराटं को प्रात देमचद्र ने की थी । यह ऐसा ही विरल विनोद जान पडता है जमा फि धाजकल हमारे मित्र भट्ट मथुरानाथजी के सस्कृत के मनहर दडक घर सर्वेये । यध्चिता- मशि मे ही एक जगह दो चारणों को दोहाविद्यया न्पर्धमानी घणान्‌ दोहा विद्या से होडाहोडी करते हुए कहा गया है । उनकी पघिनाशो से एस दोहा १. प्रबघचितामशि पृ० ५६ १४७ । २. पइली ताव न झनूहरइ गोरीमुहकमलस्स




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