आत्म संबोधन | Aatma - Sambodhan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
321
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[ ११ 1
श्रीमत्ती तुलसाबाई ने एक पुत्र र॒त्त को जन्म दियाहै। उसीका यह
आनन्दोत्सव मनाया जा रहा दै | पिता श्री गुलाब राय जी के
दं फा कोड पारावार ही नहीं । चाचा बगैरह प्रसन्नता से फूले
नहीं समाते | सभी ने मिज्ञकर इस सोम्य मूर्ति को नाम दिया
सदन सोहनः | ।
भालक मगनलाल्ः-
किसी को मनद सुखकान से, किसी को अपनी सुन्दर चाल
ढाल से, ओर किसी को तुतलाती भाषा से रंजित करता हुआ
बालक बढ़ने लगा । परन्तु कैव-- देव से यद खव न देखा
गया। ३ वर्ष का बालक-बीसार पडा-ऐसा बीमार - बचने की
कोई आशा नहीं। परिवारजनों ने वालक के जीवित रहने की
आशा से बालक का अशुभ नाम रखा (मगनलालः श्र्थीत मांगा
हुआ । पुस्य ने साव दिया । मगनज्ञाज्ञ के पेट की नखों पर गसं
लोहा रखा गया } वह क्च गया ) क्या पता था किसी को उस
समय कि बालक मगन का यह नाम सार्थक दी सिद्ध होगा
अर्थात्त् भविष्य में वह सदा ही अपने आत्मावलोकन मे 'सगन!
रहा करेगा | समवयस्क बालकों में खेलता परन्तु किमी बच्चे
का दिल न दुख जाय यद् भावना संदा रहती । सदेव पराजित
चालक का पक्ष लेता जब कि दूसरे बालक उस बच्चे की हंसी
उड़ाते |
विद्यार्थी मगनलालः-- ।
अच कुछ आगे चल्षिये | सगनलाल & वष के हये । धर् पर
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