प्राकृत पाठमाला भाग १ | Prakarit-pathmala Bhag-1

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Prakarit-pathmala Bhag-1 by अगरचन्द भैरोदान सेठिया - Agarchand Bhairodan Sethiya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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५.>/ थाथ छे जे उपरनी वे भाषा मां नथी थतु--जेम संस्कृत निश्वर-दावब्द पाली अने अद्धमागधीमां निज्ञर अने नाटकनी मागधीमां निज््षत थाथ छे. आ भेदने लइने कोह २ जैन साहित्यनी माषा ने जेन मागधी, बोद्ध- साहित्यनी भाषा ने पारी मागधी अने नारकनी मागधीने प्राकृत सागधी पण कहे छे. प्राकृत साषाना आ साहित्य- प्रवेशयुगने मागधी युग कहीए तो ते स्वोर्ट नथी कारण के मगधदेदामांज तेने प्राथमिक साहित्य स्थान प्राप्त थयु छे. उपरनी बे प्राचीन भाषासांनी अद्धेझागती माषा कोई खास व्याकरण उपलब्ध नथी. जो के चंडसु प्राकृत लक्षण थोडेक स्रो ते सवानो स्पश करे क अमे हेमचंद्रे कोई कोई स्थले पोताना प्राकृत व्याकरणनां आपषेभाषा तरीके तेनी नॉध लीधी छे. पण पूण व्याकरण एके नथी. पाली मा- घाना चश व्याकरण मुख्य छे कच्चाथन, सोग्गल्लाथन अने सइनीति. कनच्चाथनने आधारे रूपसिद्धि, भहानिरुत्ति, चूल- निरूत्ति, निरुत्तिपिदक तथा बालावतार बगेरे व्याकरणों रचायां छे .मोर्गलाथनने आधारे पयोगसिद्धि,मोप्गछानवु- त्ति, खसदसिद्धि तथा पदसाधनी वगेरे ग्रंथों रचाया बे ने सदनीतिमे आधारे एक चुद्यक्तरनीनि नासे अथ रचाया के.आ चधामां कचायन प्राचीन द. नवापि तेना करतां रूप- सिद्धि मोग्गदयानघुत्ति, पद्‌साधनी तथा पथोगसिद्धि वधार उपयोगी छे. सहनीति ए पूर्वाक्त बधा करता नेष्ट ठ. रूप- सिद्धि व्याकरण म्होई नही तेष न्हानु नही छतां बधा वि- पधोनो तेमां समावेश करवा्ां आव्यो छे ण्टले विशेष उपयोगी द एम कदेवाय दे. कै कचायन वुद्धना समकालीन ५ ५ 1




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