भारती कवि विमर्श | Bhaarti Kavi Vimarsh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
64 MB
कुल पष्ठ :
242
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about रामसेवक पाण्डेय - Ramsevak Pandey
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)महाकवि कालिदास
महाकवति कालिदास सरस्वती के वह वर पत्र है, जिनके
कवित्व की ख्याति उनके जीवन-काल से प्रारम्भ होकर युगों-युगों
तक हुई और भविष्य से भ्री होती रहेगी। इसके प्रमाण समय-
मय पर कवियों ओर साहिवय-मर्नन्ना द्वारा विरचित प्रश॒स्तियाँ
हैं। कुमारिल मट्ट जैसे दाशेनिक और धर्माचार्य्य ने उनकी सूक्तियों
का उल्लेख कर उनके प्रति समादर प्रदर्शित किया है। भारत के
बाणमट्र, जयरेव, गोवद्धनाचायय आदि कब्रियों ने यदि मुक्त-
कर्ठ से उनकी प्रशंसा की हैं तो पश्चिम के गेटे, हम्बोल्ड,
विलियस जोन्स आदि ने भी उनका गुणगान किया है। यद्यपि
ऐसे विश्व-कवि से अखिल प्रथिवी को गब है तथापि भारत का.
जो कि वतमान युग मे सभ्य देशों से पिछड़ा हुआ है, मुख विशेष:
रूप से उज्ज्वल हुआ है ।
^
हे कि हमे उनके बाह्य स्वह्पका कोड परिचय नदीं)
मालूम नहीं किवे सवले थेया मोरे, मोरे यथे या दुबल, नारे
थेया लॉबे, शिर पर कसा उष्णीष रहता था, केसा उत्तरीय
पहनते थे , उनके माता-पिता ओर गुरु कोन थे, जत्म-भूसि कहाँ
थी ओर वे झिस वातावरण में पले थे । इन सब बातों के ज्ञानने
के लिए कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं | उन्होंने अपने विषय में कुद्ध
भी नहीं लिखा | इसका एकमात्र कारण यही मालूम ভালা ই
कि वे लोकेवणा-शन्य, कणाद, गातम आरि ऋषियों के अनुयायी:
थे, जो अपने विषय में सर्वथा मोन हैं
भले ही उनके बहिजगत् का ज्ञान हम न हो तो भी उनके:
ग्रन्थों में उनकी आत्मा का दशन होता हैं;. उनका जीवन स्पष्ट:
৬২৬
मलकता है; विचारों और रुचि का पता चलता है | उनके काव्य:
१.५
User Reviews
No Reviews | Add Yours...