जिनज्ञान दर्पण भाग १ | Jingyan Darpan Volume-1
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
298
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(५)
सु० ॥ १॥ एआंकणी ॥ ध्यानसुधारसनिस लध्यायने ॥
पायाकेवलनाण || वाणसरसवरजनबहतास्ा ॥ ति
मरहरणजगभाण ।। सु० ॥२॥ फ़िटिकसिंहासणजिन
जीफावता॥ तरुआशोकउदार ॥ छबचामरभाम॑डल
भलकता ॥ सुरदुदुभिकणकार ॥ सु० ॥३॥ पुष्प
विष्टिवरसुरध्वनीदौपतां ॥ साहिबजगसिणगार ॥
अन॑तज्ञानदर्शनसुखबलघणु' ॥ एटुवादशगुणश्रीकार॥
सु० ॥४॥ वाणीशुधारसउप्शमरसभरी ।॥ दु्गतिमूल
खपाय ॥ शिवसुखनाअरिशब्दादिककह्या ॥| जगता-
रकजिनराय || सु० ॥५॥ अंतरजामौरेसरणेआ परे ॥
हुआयोअवधार || ध्यानतुमारोनिशदिनसांभरे ॥
सरणागतसुखकार ॥। सु° ॥६॥ संवंतओगणौसरेसुद
पखभाद्रबे ॥ बारसमं गलवार ॥ सुमतिजिणेसरसाहिव
समरिया ॥ आर टद्षश्रपार ॥सु०।॥॥
अथ पदमजिनस्तवन |
नि्लेंपपद जिसाप्रभु || पह्मप्रभुपीछाण ॥ संयमलीधोति
णखसमें || पायाचोथोनाण ॥ पशग्मप्रमुनितसमरिये ॥१॥
एआंकणी ॥ ध्यानशुक्रप्रभुध्यायने ॥ पायाकेवलसोीय ॥
दौनदयालतणीदिशा ॥ कदहणीनआंवेकीय ॥ पद्म ०॥२॥
समदमउपशमरसभरौ ॥ प्रमुतुमतणोवारि ॥ चिभु-
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