उपासक आनंद | Upasak-aanand

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Upasak-aanand by हरिशंकर शर्मा - Harishanker Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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आनन्द की जीवन-नींति : ७ अन्न है और अन्‍्ने उत्पंत्र करंने के लिएं” वह विशाल पैमाने पर खेती कराता था। उसके यहां पाँच सौ हल की खेंती होंती थी। भोजन की; दूसरी सामग्री घीदूध ;समभी ज़ा:सकती है. ओर उसके:लिए भी -वह. प्रावल्लाब़ी;; नहीं था.।। उसके यहां चालीस र्दजार.. गाये पलती. श्रीं ।-. गायो की. संख्या को चतलाते हुये कहा गया है कि न ;.नचत्तारि वया, दसमोसाहस्सिएभं वएणं होत्या । ; ‹ अथोत आनन्द के यहां दम हजार गायों के एक ब्रज के हिसाब से चारं ब्र॒ज॑ थे ! | उसके यहां, की भसों क़ी संख्या को शात्रकार,ने नहीं बतलाया -है.। तो, जिसके घर पाँच सो हल, चलते, हों और चालीस हजार - गायं तथा . बहुत सी भसे हो; उसके यहां अन्न; घी, दूध और छ/ाछ की क्यु कमी हयो सकती है,१ ऐसी स्थिति. में उसकी , भोजनशाला में अपनी, आवश्यकता से भी अधिक भोजन बनाया जाना और उससे याचकों एवं अनाथं का पालन-प्रोषण होना स्वाभाविक ही है । লালাহ উ मोल अन्न, घी, दूध, आदि खरीदने वालों में यह उदारता,आत़्ा बहुत कठिन है । , , ... 4 | नन्द्‌ के यहं गायो ओर भैसोंके ' अतिरिक्त बंकरों, नकरियों च्रौर भेडों की भी.णकं जडी संख्या थीः।: ` . * प्रश्न हो सकता है कि जिसके यहाँ गायों और भेसों की




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