श्री अमरसेन वयरीसेन चरित्र | Shri Amarasen Vayarisen Charitra
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
184
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मरुध र केशरी-प्रन्यावली
घुन॒ एक -पढवारी रहे ছিল হান বা)
प्रौर कोई बात नाही, सुखले लाखीणी नार-
साच कहूं रतो एक थाँसू नही आतरो ॥१॥
हाल ८ मी ॥ तजं- एक दिवश लंकापति० ॥
मोघो श्रायो मिल, जासी, मतना राखो उदासी, `
हे मृदुभाषी! त् मुभ प्यारी प्राण सू ए।
दीवाली दिन आवियो, महाराजा फुरमावियो,
सुणावियो, मन््त्री ने सन्देशडो ए ॥१।॥
चवदा वर्ष व्यत्तीत ए, कुंबर दो शुभरीत ए,
पुनीत ए विद्या तन बल बेवडो।
लावो सभा मजार ए, देखे सहु परिवार ए,
पटनार ए, था पिएा मिलणो उहा रही ए॥ २१
सचिव कहे शिर न्हाय ए, कुछ ठहरो महाराय ए,
दमाय ए, कपट भर चाली सहो ए,
ग्रलगामे भ्राराम ९, सुधरे सारो काम ए,
नाम ए, हालः श्राप चेवो मती ए॥
प्रथमा राणी नोल ए, हिथड लीजो तोल ए,
ग्रमोल ए, सत्य होसी भार्यो - सती ए ॥ ३॥
ला - कर मृदु मुसकान ए, फरमावे राजान ए,
मत तान ए, अब मिलो मन भावियो ए,
सचिव जाय उद्यान ए, स्वागत करी महन ए,
पुरम्यान ए, युगल कुंवर ने लावियो ए।॥४॥।
मेलो मच्यो अ्रपार ए, निरखे राजकुमार ए,
नर नार ए, जोड स्रवे 'है 'घण्यो ए।
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(२०७ )
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