संघ मोतीलाल मास्टर | Sangh Moti Lal Master

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Sangh Moti Lal Master by जवाहिरलाल जैन - Javahirlal Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(१) संघी मोतीलालजी मास्टर का जन्म २५ अप्रैल १८७६ को वर्तमान राजस्थान राज्य के जयपुर डिवीजन के ग्र तगत जयपुर जिले के चौमू कस्बे में हुआ था । चौमू भूतपूर्व जयपुर रियासत का एक प्रतिष्ठित । ताजीमी ठिकाना रहा है । मास्टर साहव के पितामह श्री लादरूरामजी संघी ठिकाने के कामदार तथा चौमू के श्रत्यन्त प्रतिष्ठित और मान्य व्यक्तियों में से थे । श्री लादूरामजी के तीन पुत्र थे-१ श्री विजयलालजी, २ श्री पन्‍नालालजी, हे श्री जौहरीलालजी । श्री विजयलालजी के पुत्र मास्टर मोतीलालजी थे । लादूरामजी के समय में घर की श्राथिक स्थिति वहुत श्रच्छी थी, लेकिन वाद में स्थिति विगड़ती गई । मास्टर साहव ने छठी श्रेणी तक-अपर प्राइमरी तक की शिक्षा ৯ चौमू में ही प्राप्त की । चौमू में भागे शिक्षा की व्यवस्था न होने के कारण वे जयपुर भागये भौर यहां के महाराजा कालेज में भर्ती हो गये । यहीं से १८६७ में उन्होंने प्रयाग विश्व विद्यालय की मैट्रिक परीक्षा पास की । १८६६ में जब वे इन्टरमीजियट की कक्षा में-उस जमाने के एफ० ए० में पढ़ रहे थे, तव उन्होंने पढ़ता छोड़ दिया । कालेज छोडने के वाद कई वर्ष तक वे दूयूडन करके अपनी आजीविका चलाते रहे । २७ अक्टूबर १६०७ को वे जयपुर नगर के वर्नावयूलर मिडिल स्कूलके प्रधानाध्यापक नियत हुए । उस समय उनका वेतन १५) मासिक था । करीव एक वपं वाद उक्त स्कूल के उठ जाने पर वे महा- राजा कालिजियट हाई स्कूल में उसी वेतन पर सहायक श्रव्यापक नियुक्त हुए 1 २० जुलाई १६१७ करो उसी वेतन श्रौर उसी पद पर उनका तबादला शिवपोल मिडिल स्कूल में कर दिया गया। उसी संस्था में उन्हें. १ मई १६२० को ५) मासिक की वेतन-बुद्धि मिली । इसके वाद ং




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