अरुणरामायण | Arun Ramayan
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
354
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)आअदणरामायण
भौतिक, आध्यात्मिक गति के शुअश्र मिलन की जय
सत्यानुवूल सचित समस्त साधन की जय
आधारित सदाचार पर जो, उस रण वी जय
आनन्द-निनादित समतामय गासन की जय
मानवता की जय ही जीवन की महाविजय
पद्ु-पक्षी-हित भी बने नहीं मानव निर्देय
आलोवित झौय॑ करे जीवन-तम का विनाक्ष
फले पृथ्वी पर सत्य-मजग उज्ज्वट प्रका !
उत्प्रेगित करे अतीत कि सुधरे वर्तमान
जगमगा उछे इतिहास-ज्योति से प्राण-प्राण
चारित्रिव महिमा धारण बरे विव्व-मानव
सात्विकता को तज करन वेने वह् फिर दानव
व्यापक विश्वास-चेतना को नर तजे नटो.
कत्त व्य-विमुख हो प्रश्ु को केवछ भजे नही
केबल कर्मो में ही न उछय जाए जीचन,
आत्मिक प्रणान्ति के लिए करे नर आराधघन
अपने वो समझे वह भीतर से--वाहर से
आत्माभा को भी देखे वह अन्तरतर से !
-“वाल्मीकि-क्मल पर रख कर पावन तुलमी-दल
अपित दर बुछ अपना भी, कौन काव्य-बिह्वट ?
चेष्टा यह अनधिकार क्सिकी ? वह কীন নাত ?
कंसे बह् पार करेगा वाव्याम्ुधि विलाल ?
नास्तिव युग मे आरितिक दुरसाटम यह् विसका ?
मासो मे कंसे युचि सौरभ सहसा गमका ?
किमि काव्य-तपरया का पुनीत फर मिटा आज ?
कामना-पक मे कंसे पक्ज खिटा आज ?
क्सिवी यह अनुकम्पा कि प्राप्त पावन प्रसाद ?
मन ने वैसे कर लिया ग्रहण दिव्यात्मवाद ?
उमिल उर मे विद्या-विवेक की क्रिण नही
वैप्णवःविधानमय भक्तिमिष्ठ आचरण नही
जग का सामान्य ज्ञान भी ज्ञात नही मन को
हस बी झुअ्रता भाप्त नही वक्-जीवन को !
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