स्वाधीनता | Swadhinta
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
416
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ३)
जागृत कर दिया; उनकी विवेचनारूपी तलवार पर जो मोरचा रूग
गया था उसने जड़ से उडा दिया।
मिल के अन्थों में स्वाधीनता, उपयोगितातत्त्व, तकेशाख्पद्धांते और
स्त्रियों की पराधीनता-इन चार ग्रन्थों का बड़ा मान है ।
इन पुस्तकों में मिल ने जिन विचारों से-जिन दढीलों से-काम लिया
है वे बहुत प्रबल और अखण्डनीय हैं । ये ग्रन्थ सब कहीं प्रीतिपु-
वेंक पढ़े जाते हैं । स्वाधीनता में मिल ने जिन सिद्धान्तों का प्रति-
पादन किया है वे बहुत ही दृढ प्रमाणों के आधार पर स्थित हैं । यह
बात इस पुस्तक के पढने से अच्छी तरह मालूम हो जायगी ।
इस पुस्तक में पांच अध्याय हैं। उनकी विषय-योजना इस
प्रकार हैः--
पहछा अध्याय प्रस्तावना ।
दूसरा अध्याय वचार ओर विवेचना की स्वाधीनता ।
तीसरा अध्याय व्यक्ति-विशेषता भी सुख का एक साधन है।
चौथा अध्याय व्यक्ति पर समान के अधिकार की सीमा |
ঘালনা अध्याय प्रयोग ।
मिल साहब का मत है कि व्यक्ति के बिना समाज या गवने-
मेंट का काम नहीं च् सकता ओर समान या गवर्ममेट के निना
व्यक्ति का काम नही चर सकता । अतएव दोनो को परस्पर एकं
दूसरे की आकांक्षा है । पर एक को दूसरे के काम में अनुचित
हस्तक्षेप करना मुनासिब नहीं । निप्त काम से किसी दूसरे का
सम्बन्ध नहीं उसे करने के लिए हर आदमी स्वाधीन है। न उसमें
समाज ही को कोई दस्तन्दानी करना चाहिए और न गवर्नमेंट ही
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