मगध | Magadh
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
327 KB
कुल पष्ठ :
93
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)काशो का न्याय
सभा बरस्ास्त हो चुकी
सभासद चलें
जो होना था सो हुमा
अब हम, मुंह क्यों लटकाए हुए हैं?
क्या कशमकश है ?
किससे डर रहे हैं?
फैसला हमने नहीं लिया--
सिर हिलाने का मतलब फैसला लेना नही होता
हमने तो सोच-विचार तक नहीं किया
बहसियो ने बहुस की
हमने क्या किय! ?
हमारा क्या दोष ?
न हम सभा बुलाते हैं
न फंसला सुनाते हैं
दर्षे मे एक बार
काशी आते हैं--
सिफं यह कहने के लिए
कि सभा बुलाने की भी आवश्यकता नही
हर व्यक्ति का फंसला
जन्म के पहले हो चुका है
1984
मगघ / 17
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