नवकार महामंत्र-कल्प | Navkar Mahamantra - Kalp

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Navkar Mahamantra - Kalp by चन्दनमल नागौरी - Chandanmal Nagori

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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मंत्रमद्दिम प्रकरण ङ यह देखना है कि जिस तरह अनेक कारके सन्न. होते है, उनके अपिष्टाता है उनही मन्नोंमेंसे यह भी एक नवकार मत्र हे या छुछ और बात दै ? सोचते देतो यह मत्र साधारण नदी दै, ओर अनेक मत्क जो अधिए्ठाता देव है चह भी अपनी आत्माके छिए इस मबझार महामत्रका जाप करते हूँ इस लिए उन मनसे तो यद मत्र क्‌ द्रे उच्चफोटिवाला है, इसरी मदिमा कटनेके चिए देवमी समरथ नदी दहो सकते तो मानवी मिति तरह भयान कर समता हैं लैनसिद्धान्तम तो कहा है फि। जिणसाखणस्स सारो, चउदस्पुव्याण जो समुद्राय ॥ जस्त भणे नवकासे, सस्ासे तस्स कि कुणइ ॥१॥ सी मगरनिरुमो, भवयचिखमो सयर्सधसुदजणमो ॥ नवकारपरममतो, चितियमित्त झुद्द देई ॥९॥ 'भावार्थ-जन शासन चबदापूवका सारभूत नवकारमन बताया है, और इसका बहुतसा वर्णन दशे पूवम था जिससा गणघर भगवानने वयान शिया, ऐसे इस महा प्रभाविक मत्रका जो नित्यप्रति ध्यान-स्मरण करते ह उनका इस ससारमें कोई भी अनिष्ठ चिन्तवन नही कर सकता । यह मंत्र महामग-




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