घराणो | Gharano

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Gharano by अब्दुल वहीद ' कमल '- Abdul Vahid ' Kamal '

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ठाकुरजी री मूरती सामी राय-राय अरदास कर रयी ही हि भगवान म्हारै घरागै री जांत नै बचा र म्हारै मायै उपकार कर म्हारा सावरिया। म्हारै घोव्ठा मायै किरपा कर हे तिरलोकी रा नाथ। अबै इण री लाज ह थारें हाथ. । जीवणजी कनै सू पाता जद सू आई ही तद सू बा आपरै इस्ट सार्मी इण भात अरदास कर रैयी ही। कदैई वा धर-थर काँप ही ता कदैई बा आपर जीव नै भाठै-सो काठो कर र झूपडै कानी आपरा कान तगावै ही। पाना जाणै ही टावर हुया पके रै नतीजा नै । वा जाणै ही आपरी आस्या समीं हुयोड कुकरमा नै । जद भी उण री आप्या रे सामी हुयोडै कुक्रमा रा दरसाव उण नै याद आवता तो उण नै लागतो कै उण र डीत माय सू जाणै बिजछी रो सगाटो-सो निककग्यो है । अर वा धर-धर कापण ताग जावती 1 उढीनै तिवारी माय माचै मायै वैठ्यो जीवणजी बार-बार खाँसै हो अर सखारा करै हो। जिण रो मतलब हो कै यो अजू ताई जाग रैयो है! जीवणजी रै घर री बाड-ओलै बैठा सुगनो भैंझ अर उण रा साथी दड खींच्योडा जीवणजी रै घर री हलचल कानी आप-आपरा कान लगाय रास्या हा। उणा नै डर हो कै उणा नै कोई देख नीं लेवै। उठीनै झूपडै मे पारो घडी क मे ठडी हुवती ही अर तुन्न मे आवती ही तो पडी कर्मे बाचेतो करती ही अर आपरे हाया नै उधा-सूधा मारती ही। हमीदा उण मे बार-बार तूण री उका सू गरमी वपरा रैयी ही । पण उण रो चुटकारो अचू ई नीं हुय रैयो हो। घराणो^15




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