घराणो | Gharano
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
120
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ठाकुरजी री मूरती सामी राय-राय अरदास कर रयी ही हि भगवान म्हारै घरागै
री जांत नै बचा र म्हारै मायै उपकार कर म्हारा सावरिया। म्हारै घोव्ठा मायै
किरपा कर हे तिरलोकी रा नाथ। अबै इण री लाज ह थारें हाथ. ।
जीवणजी कनै सू पाता जद सू आई ही तद सू बा आपरै इस्ट सार्मी इण
भात अरदास कर रैयी ही। कदैई वा धर-थर काँप ही ता कदैई बा आपर जीव नै
भाठै-सो काठो कर र झूपडै कानी आपरा कान तगावै ही।
पाना जाणै ही टावर हुया पके रै नतीजा नै । वा जाणै ही आपरी आस्या
समीं हुयोड कुकरमा नै । जद भी उण री आप्या रे सामी हुयोडै कुक्रमा रा
दरसाव उण नै याद आवता तो उण नै लागतो कै उण र डीत माय सू जाणै
बिजछी रो सगाटो-सो निककग्यो है । अर वा धर-धर कापण ताग जावती 1
उढीनै तिवारी माय माचै मायै वैठ्यो जीवणजी बार-बार खाँसै हो अर
सखारा करै हो। जिण रो मतलब हो कै यो अजू ताई जाग रैयो है!
जीवणजी रै घर री बाड-ओलै बैठा सुगनो भैंझ अर उण रा साथी दड
खींच्योडा जीवणजी रै घर री हलचल कानी आप-आपरा कान लगाय रास्या हा।
उणा नै डर हो कै उणा नै कोई देख नीं लेवै।
उठीनै झूपडै मे पारो घडी क मे ठडी हुवती ही अर तुन्न मे आवती ही तो
पडी कर्मे बाचेतो करती ही अर आपरे हाया नै उधा-सूधा मारती ही। हमीदा उण
मे बार-बार तूण री उका सू गरमी वपरा रैयी ही । पण उण रो चुटकारो अचू
ई नीं हुय रैयो हो।
घराणो^15
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