अर्थशास्त्र के मूल सिध्दांत | Arthashastra Ke Mool Siddhant

Arthashastra Ke Mool Siddhant by भगवानदास अवस्थी - Bhagwandas Avsthi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अथशाख मे मनुप्य के हितों के और संपत्ति के संबंधों का अध्ययन किया जाता है । जिस शास्त्र मे ममुष्य के उन व्यवहारों, कार्यों आठि का अध्ययन किया जाता है जिन से उस के प्रति-दिन के जीवन-निर्वाह का शौर संपत्ति का संबंध रहता है, उसे अर्थशासत्र कहते है । ... अथशास्त्र मे मनुष्य के प्रतिदिन के व्यावसायिक जीवन से संबंध रखनेवाले कामो का अध्ययन किया जाता है, इस बात की छानबीन की जाती है कि मनुष्य प्रति-दिन किस अकार अपनी जीविका उपाजन करता है ओर किस म्रकार वह उसे अपने उपयोग मे लाता है । ऊपर की परिसापाओं से यह स्पष्ट हो जाता है कि अथंशास्त्र मे मनुष्य और संपत्ति दोनों का ही अध्ययन एक साथ चलता है। अर्थ शास्त्र मे मनुष्य के उन कार्मो का, उस्र के जीवन के उन पहलुओं का अध्ययन रहता है जिन का संबंध संपत्ति से, धनोपाजन से, और सपत्ति के उपभाग से रहता है । मनुष्य के जीवन प्र डस की जीविका का बहुत अधिक असर पडता है | उस का अधिक समय अपनी जीविका के उपाजन करन से व्यतीत होता है । मनुष्य अधिकतर उन कामो मे लगा रहता है जिन स उस धन की, प्रति-दिन की आवश्यकताओं को पूरी करनेवाली वस्तुओं की, आधि होती है । उस की शक्तियां उन कासो मे लगती ओर विकसित हाती दे, जिन से उस की जीविका चलती है । उस के चरित्र, मन, मस्तिष्क, शरीर




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