महाभारत प्रथम खंड | Mahabharat Khand 1

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Mahabharat Khand 1 by भगवानदास अवस्थी - Bhagwandas Avsthi

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about भगवानदास अवस्थी - Bhagwandas Avsthi

Add Infomation AboutBhagwandas Avsthi

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
महाभारत [ १७ क्‍यों क्षत्रिय से ब्राह्मण हुए, नृशंसता धर्म, वृत्त ओर तोता उद्योग की महिमा, लदमी के पास, शली को सहवास में अधिक सुख, कल्याण का उपाय, महादेवजी का माहात्म्य, उपमन्यु, श्रीकृष्ण आदि का तप द्वारा शिवजी को प्रसन्न कर वर पाना, द्वियों का खभाव, अ्रष्टावक्र-उत्तर दिशा, दान देने योग्य आह्मण, पस्य श्र पाप, तीर्थो श्नौर गंगा का माहात्म्य, जाह्मणत्व कौ दुलेभता, मतंग का तप, वीत-हन्य ब्राह्मण हुए, श्रीकृष्ण-प्रथ्वी संवाद, इन्दर-शम्बर संवाद्‌, सुपात्र व्राह्मण, सियो के सभाव, नारद-पंच चूड़ा, देव शमो-विपुल, इन्द्र-रचि; कन्यादान, विचाह, दाय भाग, पुत्रों के प्रकार, सत्री-प्रशंसा, संकर-वर्ण; च्यवन मछ्- लियाँ और जाल, ऋषि का भूल्य, एक गाय कुशिक वंश और ख्यवन, कुशिक को खगं दशन, विरवामित्र का ज्ञत्रिय से आहाण होना; शुभ कर्म, जलाशय, वक्त लगाने, गोवान, भूमिदान, श्रन्न- दान, विद्यादान आदि के फल; प्रजा राजा को कब मार डाले; ब्राह्मण की महिमा; त्ृग और नाचिकंत के उपाख्यान; अक्षा-इन्द्र संवाद; गोलोक-वर्णन; कपिला की उत्पत्ति; वशिष्ठ-सौदास संवाद; गो में लक्ष्मी; सोने की उत्पत्ति, वशिष्ठ-परशुराम-संवाद, दान- लेने से सुकृत नष्ट, मदृषियों की शपथ ओर इन्द्र का मृणाल चुराना; छाता खड़ाऊँ की उत्पत्ति, विभिन्न दान, जत, इन्द्र-गोतस, श्रनशन त्रत, विना धन के कमो के फल, द्वादशी श्रौर विषु पूजा, चान्द्र नत । बृहस्पति का उपदेश, जन्मकर्म, भायश्चित, शन्न दान, हिंसा और मांस भक्षण से दानि, व्यास श्रौर कीड़ा, व्यास और मैत्रेय, शारिडली-सुमना, राक्षस-त्राह्मण, पिठ दरपन; विष्णु के प्रियकाये, वायु, यम,नक्वा,शिव आदि का धरम के रहस्य वतलाना, रेणु प्रमथ गण, श्रभक्ष्य, दान; वसुदेव का तप शरोर माहात्म्य, शिव का तप शौर माहारम्य, बिणुसङ नाम से अनिष्द नाश, शिव-पावंती संवाद; आाह्षणों का माहत्म्य, वायु-्कीतंवीय संवाद;




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now