महामानव बुध्द | Mahamanav Buddh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
14.67 MB
कुल पष्ठ :
185
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about राहुल सांकृत्यायन - Rahul Sankrityayan
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प् महामानव बुद्ध ख ठीक आचार--ू ठीक वचन--भूठ चुगली कट़माषण और वकवाससे रहित सच्ची मीठी बातों का बोलना । ठीक कर्म--हिंसा-चोरी-व्यमिचार-रहित कर्म ही ठीक कर्म है । ठीक जीविका--भूठी जीविका छोड सच्ची जीविका से शरीर- यात्रा चलाना । उस समय के शासक शोषक समाज द्वारा तनुमोदित सभी जीविकाशों में य्राणि-हिंसा सम्बन्धी निम्न जीविकाशओं को ही बुद्ध ने भूटी जीविका कहा-- दथियारका व्यापार प्राखिका व्यापार मांसका व्यापार मद्यका व्यापार विधका व्यापार | ग ठीक ससाधि-- ठीक प्रयत्न व्वायाम --इन्द्रियों पर संयम बुरी भावनाओं को रोकने तथा द्च्छी मावनाओं के उत्पादनका प्रयत्न उत्पन्न अच्छी भावनाश्ों को कायस रखने का प्रयत्न--ये ठीक प्रयत्न हैं । ठीक स्मुति--काया वेदना चित्त और मन के धर्मों की ठीक स्थितियों --उनके मलिन छ्षण-विध्वंसी झादि सदा स्मरण रखना | ठीक समाधि-- चित्तकी एकाग्रताकों समाधि कहते हैं । ठीक समाधि वह है जिससे मनके विद्षेपों को हटाया जा सके | बुद्धकी शिक्षादओों को श्रत्यन्त संक्षेप में एकपुरानी गाथा में इस तरह कहा गया हे-- सारी बुराइयोंका न करना आर श्रच्छाइयोंका सम्पादन करना अपने चिक्तका संयम करना यह बुद्धकी शिक्षा है |
User Reviews
No Reviews | Add Yours...