कुरानानुवाद | Kurananuwad
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
93
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)म ॥१॥ पारः ॥१॥ सुरते वक्र ॥२॥ खकु ॥१२॥ आयत ॥६५॥ १३
बछूड़ा बना लिया आर तुम अत्याचारं दा ॥ ८८ ॥
र जव हमने तुम से प्रण कराया आर बरुम्हार
उपर तुर पवेत का डत्थान [किया कि बरू स॒ अहसा
करो जो तुम को हम ने द्याह । आर सुना । व
बोजे । हम नें श्रवश् किया । ओर न माना | कुफर
के कारण उनके मनों में तो वत्स व्यापक हो रहा
था । तू कह । यदि तुम विश्वासी हो तो तुम्हारा
विश्वास तुम्हें बुर बात घिखा रहा हे॥<८६॥ तू
कह यदि इतर पुरुषों के अतिरिक्त तुम को केवल
ईदवर का गृद्ध मिलता है | तो तुम स्वमस्तत्यु की इच्छा
करो यदि तुम सच्चे हो ॥६&० ॥ और वे झत्यु को
इच्छा कदापि न करेंगे । इस कारण से जो उन के
हाय पहले मेज चुके हैं ( अपने पूव छल्यों के कारण
से ) और হইল अन्यायकारियों को जानता है
|: ६९ ॥ और तू उन्हें इतर सब पुरुषों की अपेक्षा सांसा-
रिक जीवन पर सब से आझधिक लोलुप पाएगा ओर
पाषाशापूजकों में से भी प्रत्येक सहस्रायु का अभि-
लाषी है । ओर यह दीघे जीवन कुछ उस को कष्ट से
रक्षित न करेगा | ओर जो कुछ वे करते हे इंश्चर
देखता हे !। ६२ ॥
वेप
० १शशम-तू कह । जो कोई जवरइंल <का शज्लु हैं । सो उस ने
ईंशवणज्ञानुरोध से तेरे मन में निवेश किया है ॥ জী
उस ( वाक्यावखी ) को जो उस्कं समच हे सत्य
स्वीकार करता | और शिक्षा और विश्वासियों
लिये शुभ सूचना है ॥ ६३॥ जो कोई इंश्वर का ओर
उसके दूतों ( फरिश्तों ) का आर उसके रखूला आर
मिकाईल का আহি होगा तो इंश्वर उनका शत्रु हांगा
॥ ६४ ॥ हम ने तेरी ओर खुली आयत ( चिन्ह )
उतारी हैं| सत्यवाहिमूत मनुष्यों के आतारक्त उस
कोई अनड्रीकार न करेगा ॥ ६५॥ क्या जघ वे इश्वर
से कोई प्रण करेंगे तो एक सघूह उनम उस रतज्ञा का
User Reviews
No Reviews | Add Yours...