हर्षचरित एक सांस्कृतिक अध्ययन | Harshcharit Ak Sanskritic Adyyan

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Book Image : हर्षचरित एक सांस्कृतिक अध्ययन  - Harshcharit Ak Sanskritic Adyyan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( २) चित्र ८ ( पु० १७ )--मौलिमालतीमाला। अजन्ता के चित्र से ( राजा साहब, ओष - कृत अजंता, फलक २८, पंक्ति २, चित्र २ ) । वित्र ( पु १८ )- मस्तक पर शंशुक नामक रेशमौ वस्त्र की उष्णीष-पट्टिका । अजता चित्र से (ओौध-कृत अजंता,फलक २८ पर चौथो पंक्ि का चौथा चित्र) । चित्र १० (प० १६ )--पंचमुखी शिवलिंग या पंच-नब्रह्म पूजा। मथुरा का गृप्तकालीन शिवलिंग ( संख्या ५१६ )। चित्र ११ ( १० २० )- छलाटजूटक या माथे पर बंध हुए जूड़ं-सहित मस्तक ( मथुरा संग्रहालय, जी २९ )। गुप्तकालीन मस्तक | चित्र १२ (० २०)--पदाति युवक, कमर की पेटी में खोंसी हुई कटारी सहित। अहि- च्छत्रा से प्राप्त गृप्प-कालीन मिट्टी की मूति । फलक ३ चित्र १३ रंगीन (पृ०२१)--त्रिकण्टक नामक कान का आभूषण । दो म्ोतियों के बीच में जड़ाऊ पन्ने सहित । रष्टरीय संग्रहालय नई दिल्ली के स्थानापन्न सुर्पारिटेंडेट श्री जे० के० राय की कृपा से प्राप्त फोटो और वहीं के चित्रकार श्री भूपाल सिंह विहत द्वारा बनाए हुए रंगीन चित्र के आधार पर । चित्र १४ (प०२१)--कच्छ के बाहर निकले हुए पलले सहित घोती (अधोवस्त्र) पहनने का ढंग। चित्र संख्या ५ में उल्लिखित मूर्ति का पिछला भाग । चिन्न १५ (प० २३)--रकाब में पैर डाले हुए घोड़े पर सवार स्त्री । मथुरा से प्राप्त शू गकालीन सूचीपट्ट से। यह इस समय बोस्टन संग्रहालय में सुरक्षित हं । चित्र १६ (प१० २४) -सीमनन्‍्तचुम्बी चदुछातिलकमणि। अहिच्छत्रा से प्राप्त गृप्त-कालीन मिट्टी के खिलौने से । चित्र १८ (प० ३५ )-पेटी से कत्ता हुआ ऊंचा घाघरा ( चंडातक )। ( ऑंघ-कृत अजता, फलक ६४ ) । फलक ४ चित्र १७ (१०३३)-हल्‍्लीसक या मंडक्की नृत्य। स्त्री-मंडल के बीच में नृत्य करता हुआ यूवक । बाघ के गृफा-चित्र से । चित्र १६(१०३४)-सिर से बंधा हुआ और पीठ पर फहराता हुआ चीरा । अहिच्छत्रा से प्राप्त दंडवत्‌ प्रणाम करते हुए पुरुष की मूर्ति । चित्र २० (पु०४०)--वागुरा या कमंद । अहिच्छत्रा से प्राप्त सूय-मूरति पर अंकित पादवे- चर के हाथ में ( अहिच्छत्रा मृण्मय मूर्तियाँ, चित्र ९७ ) | चिह्न २० अ (पृ०४०)--पाश्न ( श्री जी०एच०खरे-कृत मूर्तिविशान फलक ९४,चित्र ३०)। चिघप्र २१ (प०४१)--दानपन्नों पर लिखे हुए सम्नाट्‌ के विश्रम ( सजावट ) यृकत हस्ताक्षर । हषं के नांससेडा ताश्न पट्‌ की अंतिम पक्ति--स्वहस्तो मम महाराजाधिरजा श्रीहर्ष स्य |




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