पुरातत्त्व-परिचय | Puratatv-Parichya

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Puratatv-Parichya by डॉ परमेश्वरीलाल गुप्त - Dr. Parmeshwarilal Gupt

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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সাহহ হন १८ जानकारी ही उदे सम्मुम प्रधान विषय हाता ह 1 उसमे लिए खुदाई वा द्म बहुत बुछ निरीक्षण परीक्षण, सग्रह और व्यवस्था हाती हू 1 सुव्यवस्थित ढग श्रौ श्रलतटप्य तरीषे मे वाम करने वाले की काय प्रणाली मेँ म्यर्‌ श्रनर दोगा, बह ता स्पष्ट ही हं विन्तु তলৰ শামা यै परिणाम में मी मदान्‌ भ्रन्तर हाता ह यह पुरातत्व में प्रत्यक्ष लक्षित दोता ह। मान रीजिये बिसी विसान को वरी किसी सेल में हत चलात या सोदते समय बाई पथर या घातु वी मूति वतन, भझौजार था गहना मिल जाता ह। वह एवं दुसरे के हाथ से हांता हुआ्ला बाजार में विकने आग हूँ भौर फिर दुषानदार के यहाँ से विसी सप्रहालस या कसी निजी सम्रह मं पहुँच जाता € 1 एेसी भ्रवस्या में बिसी बा मालूम नहीं हो पाता वि बह वहाँ से शौर विस धवस्था में प्राप्त हुआ । बह प्रपनी परिस्यि तिया से इस प्रषार भलग घर दिया गया हाता € कि उसवा निजस्व उसी तक सीमित रह जाता ६। एसी भझवस्या में कला वी दप्दि ये ता उस यस्तु वी सराहना की जा सकती ह, पर प्रश्न यह हाता ह वि उसवा एति शामिव महत्त्व कया € प्रयवा उससे एतिहासिय तथ्य पर यया प्रका ঘল্পা ह। দঙঘা थे माटीय सग्रहालय में नृ्य प्रस्तस्युग वी वस्तुश्ा वा एम विधान मण्ट ह्‌! यह्‌ सामप्रो विभिन्न व्यकशिया प विनिप्न स्थाना झोर पिभिष समया में एवश्र यो थी। उनव॑ सम्बाय में आज शिपी प्रषार फी जानायारी समप्रहतय में प्राप्त पद्दी ६। पल स्वष्प यह पह- বাবা हुए भी वि ये सव्य प्रातर युग का वीङंट भाग टम उम कात पौ सरृइति बी रपरसा मे स्म्य धिमी प्रमारया भमान मर सवत। भयुग थे पजय सप्रह्मापय में उस क्षत्र स प्राप्त मृतरिया या एबं यहूत प्ाणा सम्रट ७ | दाग मणुरा वा दसा थी पे सम्बंध में पर्स जाउरारी एई ₹ पर उनम धापार पर हम यहाँ व विभिन्न पास




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