दक्षिण भारत की कला, संस्कृत एवं सभ्यता का इतिहास | South India Main Kala Sanskriti Aur Sabhayata Ka Etihaas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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४ + পা পু জাল जिय पद নত শিব এপি करवा है, बहाँ ललबार के बन' पर लोगों 2 मुक्त अनाय ठ, आस्म को साठ करे मॉर्जद हंयार करता है। जब ओरगज थे मॉल दा पर विजय परम को और निजामूल भुस्क नो गोलकु डा का गवर्र अनाइर' भेजा, और उससे झंगसी নাহি তর बीते पर रालसे को कहा तो लिवीफल सुर्क के सानने 8 बड़ी जडित समस्या खेती ही गयी । उसने अत बच किया 7 ববি মান में बहा को प्राचीन गंडबता, दॉ्काीप और দাশীল মামার লী ই শিবা য় ্ললা घर कर गए हे हि उसकी सिटाना पढ़ाइ से धकराना है, अ्रतः उसने औरंगजेब की सीति क पलट त यनन के लि! औरंगजेब के मरते ही अपने आपको स्तते वराद घोषित कर दिया और दक्षिण का बहू राज्य जिसके प्राप्त करने के लिये औरमजव ने अपनी मारी फीजी शक्ति, सारा घन औुठा दिया भ्ौर घर्षों, तक भयंकर लड़ाई में फंसा रहा उराका बहु स्वप्स कि बह दक्षिण का सम्राट बनेगा-कुछ ही वर्गों' में निजामपलमुल्क मे स्वप्त में बदल निया | दक्षिण की कला, संस्कृति एवं सभ्यता को छी भागों में विभाजित किया जा শ্দবা & 1711 । १--आर्यी से লি উ पूर्व-इविड़ समय की । ३->प्रार्यों' के श्राने के पश्चांत-रामायण और महाभारत काल की | २---जन भद्ध काल -८----मृल्ल्व, चालुक्‌य, चौल पाड्िया श्रादि नरेश का समय ॥ ५---मुस्लिम काल ६---धरापुनिक्त काल




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