तत्वमाला भाग - 2 | Tattvamala Bhag-2

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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65. 5 € [जनेन्द्रमत दर्पण 1 ॥ ७ दूसरा भाग ७ तत्वमाला ॥ भप साहवान--ज्या पद यातत सख ददि ६८, ५, (= টি ১ ১0 গন গুতশন ল স্তিভনুল, হান গাতাশত্ত कक्णेन । विभातिफ़ाया ख॒ सजलनानाम्‌ परेपकरेण न चदनेन ॥ अर्थात्‌ कानों की शाभा वुडल पहनने से नदीं परतु शाख सुनने से ह, द्य क णोभा ककण से नदा परन्तु दान देने से है, इसी तस्द सज्जनों फे शरीर फी शोभा चदून सलयाने स नदीं परन्तु परोपकार से षै ॥ इस प्रश्न का उत्तर कुड्ठ शीघ्रता से देते यो आवश्यकता नहाँ। थाडी देर पषात वैट चित्त की चूत्ति को सर्च आक पर्णों से रोफ अ्रपो अतरग में चादानुयाद करके निर्णय बीजिये और तय भले पकार साहस फी कमर वाध निर्भय हो। छुले स्थान में आयर यशुत;घडी ध्यनि से इस प्रश्न का उत्तर पद কীজিই ॥ पाठक गयगा-है कि;नर्टा, प्योकि प्रिया बिचार कहना येदल बहना दी फ्द्टगा है। यदि ब्रिचार पूर्वक क्दाता दोगा तो श्रा स्रौ भ्रद्धा पूथक कद्दना न दीगा। बस मद्शयों




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