शरणागत | Sharanagat
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
128
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)शरणागत ६
तीव्र स्वर से कद्दा, नीचे उतर श्राओ । उससे मत बोलो, उसकी श्रौरत
बीमार है ।?
हो, मेरी बला से |? गाड़ी में चढ़े हुये लठेत ने उत्तर दिया। भे
कसाइयों की दवा हूँ ।! और उसने रजब्र को फिर धमकी दी । नीचे खड़े
हुये उस व्यक्ति ने कह्दा, खत्ररदार, जो उसे छुश्रा | नीचे उतरो नहीं तो
तुम्हारा सिर चूर किये देता हूँ | वह मेरी शरण आया था ।?
गाड़ीवान लठत भख-सी मारकर नीचे उतर श्राया ।
नीचे वाले व्यक्ति ने कहा, संत लोग अ्रपने घर जाओ्रो । राहगीरों को
तज्ञ मत करो | फिर गाड़ीवानसे बोला. “जा रे, हाँक ले जा गाड़ी,
ठिकाने तक पहुँचा आना तब लौटना । नहीं तो अ्रपनी खैर मत समभिकयों |
ओऔर तुम दोनों में से किसी ने भी कभी इस बात की चर्चा कहीं की, तो
भूसी की आग में जलाकर खाक कर दूगा !?
गाड़ीवान गार्ड लेकर बढ़ गया | उन लोगों में से जिस श्आादमी ने
गाड़ी पर चढ़कर रजत्र के सिर पर लाठी तानी थी, उसने छुब्ध ख्वर में
कहा ।
दाऊजू , आगे से कभी आ्रापके साथ न श्राऊंगा ।?
दाऊजू ने कहा, न आना । में अकेले ही बहुत कर गुज़रता हूँ।
परन्तु बुन्देला शरणागत के साथ घात नहीं करता, इस बात की गॉाँठ बाँध
लेना ।?
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