अद्वैत वेदांत में चैतन्य का समीक्षात्मक अध्ययन | A Critical Study Of Chaitanya In Advaita Vedanta
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
16 MB
कुल पष्ठ :
252
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)विश्व के आधारभूत सिद्वान्त के एकत्व की स्वीकृति। यह
सिद्वान्त विश्व के अन्तरस्थ एव सर्वातिरिक्त दोनों हे।
इस सिद्वान्त का वाहय जगत् से मानव के अन्तर जगत् मे
समग्र रूपेण परिवर्तन |
वाह्य विश्व॒ के विराट से अन्तर के सूक्ष्म पूर्वं का
तादात्म्यीकरण ।
इस सिद्वान्त के स्वरूप की पूर्ण चेतना के रूप में
स्वीकृति जो कि सर्वव्यापक अपरिवर्तनीय तथा चिरन्तन रूप
से वर्तमान है।
इस पूर्णं चेतना के अनुभव निरपेक्ष स्वरूप पर विशेष बल
जो कि आनुभाविक जगत् के किसी भी ज्ञात पदार्थ से
सर्वथा असमान है जो बाद मे विकसित होने वाले साख्य
योग तथा उद्वितवेदान्त की चेतना अनुभवातीत धारणाओं के
लिए आधार शिला प्रस्तुत करता है।
इस प्रकार सभी भारतीय হ্হালী का स्रोत उपनिषद् साहित्य मं
दढा जा सकता है ओर यही कारण है कि हिन्दू दर्शन में चेतना को
समस्त संभवनीय विकल्पों मे प्रस्तुत किया गया है। चेतना को द्रव्य, गुण
या कर्म ओर चिरन्तन एव अपरिवर्तनीय की तरह या फिर परिवर्तनीय या
क्षणिक या पुनः नित्य रूप से विषयी ओर विषय के विभेद म विभक्त
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