नेताजी संपूर्ण वाङ्गमय ( भाग 7 ) | Netaji Sampurn Vangmay Khand-7

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Netaji Sampurn Vangmay Khand-7 by माधवी दीक्षित -Madhvi Dixitशिशिर कुमार बोस - Shishir Kumar Boseसुगता बोस - Sugata Bose

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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১৬1 4 नवंवर 1937 को सुभाष चंद्र बोस ने शेंक्ल को (जर्मन) पत्र लिखा, जिसमें अपनी यूरोप की यात्रा की सूचना दी और उन्हें कहा कि उनके लिए कुहास हॉकलेंड, बैगस्टीन में रहने की व्यवस्था कर दे। अब तक बोस जान चुके थे कि 1938 में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष वही बनेगे। 26 दिसंबर, 1937 में सुभाष बोस ने गुप्त रूप से एमिली शेक्ल से विवाह कर लिया। हमने उनसे पूछा कि, इतनी स्पष्टता के बावजूद उन्होंने अपने इस संबंध और शादी को इतना गुप्त क्यो रखना चाहा। एमिली शेक्ल ने बताया कि बोस के लिए उनका देश प्रमुख धा। तथा इस विवाह की घोषणा से व्यर्थ के विवाद उठ खड़े होते। यह पता चला कि दिसवर 1937 मे बोस ने चैगस्टीन में अधूरी आत्मकथा लिखी। उनके कथा लेखक लियोनार्ड गार्डन ने उनके अध्याय “माई फेथ' (दार्शनिक) में प्रेम के प्रति उनके विचारों को अहमियत नहीं दी। गार्डन ने प्रारंभिक अध्यायों मे टिप्पणी भी की है जिसमे बोस ने लिखा था-“'मै पूर्ण आध्यात्मिक आदर्शवादी जीवन से समाज सेवा मे धीरे-धीरे रमता चला गया। धीरे-धीरे सेक्स के प्रति मेरे विचार भी बदलते गए। सुभाष चंद्र बोस के वैराग्य के विपय में गलत धारणाओं का मुख्य कारण सभवत: उनकी युवावस्था में जीवन मृल्यो के प्रति अधिक आस्था के कारण था। बैगस्टीन के दिन बोस के जीवन के अधिक महत्वपूर्ण दिन धे, उस स्थान क; अपेक्षा जहां उन्होंने अपनी जीवन कथा लिखी।' 1938 के दौरान लिखे बोस के कई पत्रों मे उनके काग्रेस अध्यक्ष के रूप में व्यस्त कार्यक्रमो व यात्राओ का चिक्र हुआ है। अधिकांश पत्र गाड़ी मे लिखे गए है क्योकि वे उन दिनो देश भर की यात्रा पर थे। पाठक देखेंगे कि उन्होने व्यक्तिगत बातें और प्रेम जर्मन भाषा में ही व्यक्त किया है। 17 अक्वूबर 1938 के पत्र में वे लिखते हैं कि- “हालांकि मैं दिन-रात कार्य मे व्यस्त रहता हूं किंतु फिर भी अकेलापन महसूस करता हूं।'' उन्होने पत्रों में बार-बार यह दुहराया है कि वे रात-दिन एमिली ओेक्ल के विपय मे ही सोचते रहते है। अध्यक्ष पद के रूप मे अपने पुन: चुनाव के प्रति वे काफी उदासीन दिखाई देते हैं। 4 जनवरी 1939 में वे लिखते है कि-'“यद्यपि मेरे पुनः अध्यक्ष चुने जाने के लोग इच्छुक हैं-फिर भी मुझे महसूस होता है कि मै पुन: अध्यक्ष नहीं बन पाऊंगा- एक प्रकार से तो यह अच्छा ही होगा यदि में पुनः अध्यक्ष नहीं बनूंगा तो। मेरे पास बहुत सा समय होमा ओर वह मेरा अपना समय होगा।'' चुनाव जीतने के बाद 11 फरवरी 1939 के पत्र मे उन्होने लिखा-^*यै एक वर्षं के लिए पुनः चुन लिया गया हू। महात्मा गांधी और उनके सहयोगियों ने मेरा विरोध किया। पं० नेहरू तटस्थ रहे। चुनाव का परिणाम मेरी अपार विजय है। पूरा देश मेरे चुने जाने पर उत्साहित है किंतु मेरे कंधों पर जिम्मेदारी आ पड़ी है।'” विवादास्पद त्रिपुरी कांग्रेस के दौरान अपनी बीमारी के सबंध मे बोस ने 19 अप्रैल 1939 में लिखा-'“मैं चाहता हूं कि मैं बैगस्टीन जा पाऊं।-किंतु मालूम नहीं मैं और




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