प्रताप चरितामृत | Pratap Charitamrit

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Pratap Charitamrit  by नन्दकुमारदेव शर्म्मा - Nandkumardev Sharmma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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8 त करा पा कु कु कक ~+ ~ ` ` ; प्रथम्‌ परिच्छेद मेवाड़ का संक्षिप्त परिचय और पू्वद्तान्त जय जय जय. वित्तौर হ্তশী, . है ... जय गढ़ सिर रत्न जगत विण्याता जिसने धर्म प्रेम के फारण ., , सदे णतु के आधाता - ,. जिसके पत्थर फंकड तक पर लिया हिन्दुओं फा इतिहांस । जिसको देख हमें हो सकता झपनी दढ़ता का आभास ॥ ५ ` ` धीवर धाठक महाशय ! हम बड़े असमझसमें पड़े इये हैं कि आप की मेयाड़ और उसकी राजधानी चित्तौड़ का फ्या परिचय दें भला कभी फोई अछूली फे इशांरे से भुवन भास्कर का परिचय दे सकता है ? हमारी भी इस समय ऐसी थी दशा रोरी दै कवि लोग अपनी ऋरपना शक्ति फेसंहरे छोटी छोटी धंदनाओं की बड़ी बड़ी महिमा वर्णन करने हैं | छोटी घटनाओं “ीि यहां चढ़ा फर वर्णन करने में पाठकों के आशएचये' में डाल देते हैं पर हम न तो कवि हैं. न हम में कल्एनाशक्ति है न इंमारे मेवाड़ को पेतिहासिक घटनाए' ऐसी छोटी हैं जिनका चढ़ा यढ़ा कर वर्णन किया ज्ञाय । मं मेवाड़ की घटनाएं किसी




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