प्रेम - पुष्पान्जलि | Prem - Pushpanjali
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
228
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about कुमार देवेन्द्रप्रसाद - Kumar Devendraprasad
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( कविवर वादू मेथिलीशरण गुप्त )
( १ )
अन्तयामी अखिलेश चराचर-चारी !
जय निगुण, सगुण, भनादि, झादि, अविकारी
पातादै कोद पारम नाथ! तुम्हारा ,
चलता है यदह संसार तुदा से सारा॥
(২).
पाकर ই विश्वाघार ! तुम्हारा ही बल ,
है निश्वल यद् आकाश और यह भूतल ।
बहता है नित जल-वायु, भअनल जलता है,
ट्रम-गुल्म-लता-दल फूल फूल फलता है॥
३
हू इश ! तुम्दी से रवि भ्रकाश पाता है ,
कृशा हुआ जलाघर फिर विकाश पाता है।
तारे करुए्शा-विन्दु तुम्हारे प्यारे,
न्यारे न्यारे ह खेल तुम्हारे सारे॥
( ४ ) _
हम जय तक अपना जन्म धरा पर धारें ,
हो जाती हैं उत्पन्न दूध की धारे।
१
User Reviews
No Reviews | Add Yours...