भाषा सार संग्रह भाग - १ | Bhasha Sar Sangrah Bhag - 1
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
173
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भूचाल का वर्णन । १५
पीछे हट गया और बन्दरस्थान सूख गया, शरैर फिर इतना बढ़ा,
कि नियद स्थान से पचास फीट ऊँचा हो। गया । कई एक बड़े बड़े
पर्वत ऊपर से नीचे तक दिल उठे । इस भूकम्प की धमक बड़ी
दूर तक पहुँची थी । हम्बोल्ट साइब ने अनुमान किया है कि प्रथ्व्री
का वह तल जो योरप से चौगुना है इस भूचाल से हिला। इस
भूकम्प की धमक वेस्टइनडीज़ तक पहुँची और समुद्र का हल्या,
जा किनारे पर दा फीट से अधिक नदीं चदृता था; तीस तीस फीट
तक चढ़ गया, तथा समुद्र का जल काला हो गया अरर कनेडा
देश की भोल वक उसकी धमक पहुँची और अफ्रिका के उत्तर
अल्जीयस और फुज़ देशों की धरती बड़े वेग से हिली। मोराको
चैबीस मील की दूरी पर एक गाँव था जो आठ दस सहस्र मनुष्यों
.के साथ पृथ्वी मेँ धस गया और फिर भूमि एक सी दहे गई, माने
पहिले वहाँ कोई गाँव था ही नहीं | इस आपत्ति के पहिले लिसबन
नगर में समुद्र के तीर पर लोगों के चलने के लिए संगमस्मर की
एक भीत थी । जब भूचाल से लोगो के धर गिरने लगे ते व्हा
जाकर लोगों ने शरण ली । इस भीत के निकट मनुष्यो से भरी ह
बहुतेरी नावे भी, थों। अचानक सब लोग और नावे पानी मे इन;
गई” और फिर किसी का कुछ भी पता न लगा |
एक जहाज़ लिसवन नगर के पश्चिम ओर वाले समुद्र मे था |
जब भूचाल आया तो- वह ऐसा दिला कि उसके कप्तान ने सममा
कि वह धरती पर टिक गया । तथा एक श्रौर.जहाज ठेसे वेग से हिला
कि उस पर के मल्लाहों के पाँव डेढ़ डेढ़ फ़ीट तक उस पर से उठ
সি
User Reviews
No Reviews | Add Yours...