कल्कि या सभ्यता का भविष्य | Kalik Ya Sabhayata Ka Bhavishya
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
130
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)कल्कि
का भी कोई कारण होना - चाहिये । ईश्वर यदि बिना किसी
कारण कै टो सकता है तो. जगत् भी बिना किसी कारण के दो
सकता है 1 ऐसा दोपपूर्ण जगत् किसी कुशछ और समर्थ ईश्वर
का कार्य नहीं हो सकता । इतिहास मे शवर की आत्मसत्ता का
कोई साक्षी-प्रमाण नहीं. है । एम० लोइसी कहते हैं, “इतिहास
लेखक इतिहास से ईश्वर को नहीं हटाता बल्कि इतिहास में उसे
कहीं कभी ईश्वर मिलता ही नहीं ।”? इम छोगों की जो यह .
लाल्सा है कि यह जगत् जेसा दै. उससे अधिक न्यायी दो ओर `
इसकी, भूल सुधर जार्यै ओर ओसि पु जायें, इससे यही जाहिर
होता है कि इस अगत्मे सर्वे अन्याय ही भरा हुम ई । ईववर
ˆ की सत्ताका क़ोई एेखा मरत चि नहीं दील रहा-दे, कोई
ऐसा प्रमाण नहीं मिल रहा है जिसके आधार पर हम यह कह
सकें कि, “लीजिये, यहाँ या कहीं भी ईश्वर मौजूद है।” जव
* लोग उसकी सत्ताके चिह्ठ दिखाने को कद्द रहे हों तब ईश्वर
, का कुछ न चोलना अनीश्वरवादिता का सबसे प्रचक्. प्रमाण है ।
इन सब बातों के होते हुए भी यदि कुछ छोग दीनतावश ईश्वर
का पछा पकड़े रहें तो आश्रय की तो' क्या; पर दुःख की बात
- अवश्य'है | उनका यह विश्वास उतना ही दुमैल है जितना कि
, छबते को तिनके.का सदारा, फिर चदे पौराणिकं रोग, जिनकी
इ्तिदी वहेः जो भी कहा करं ।
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