जैन धर्म क्या कहता है ? | Jain Dharam Kya Kahata Hai ?
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
87
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१४ जन धर्म क्या कहता टै
छेदग्रन्य छह है - ? निशोथ, २. महानिशीथ, ३. व्यवहार,
५ दशशतस्कध, ५ वृहत्कल्प और ६ पश्चकल्प ।
मूस चार हैं. १ उत्तराध्ययन, रे आवश्यक,
ই दशवैकालिक और ४ पिण्डनिय्युक्ति ।
सतनत्र ग्रन्थ दो हैं. १ अनुयोग द्वार और २ ननदो द्वार ।
হাজং इन ग्रन्योको मानते है, दिगम्बर नही । उनका
कहना है कि सारा प्राचीन साहित्य छु हो गया]
पुराण
जेन-परम्परामे ६३ शलाका-महापुरूप माने गये है। पुराणोमे
इनकी कथाएँ तथा घर्मका वर्णन आदि है} प्राकृत, संस्कृत,
अपश्च तथा अन्य देशी भाषाओमे पुराणोकी संख्या बहुत ই।
दोनो संप्रदायके आचार्यनि सेकडो पुराणोकी रचना की है ।
मुख्य पुराण ये हैं: जिनसेनका आदिपुराण” और
जिनसेन ( द्वि° ) का 'उरिष्रनेमि' ( हरिवंश ) पुराण, रवि-
पेणका पद्मपुराण ओर गणभद्रका “उत्तरपुराण' 1
दिगम्बर साहिल्य
दिगम्बर सम्प्रदायमे षट्खण्डागसको प्राचीन माना जाता
हे 1 षट् प्राभृत, अष्ट प्राभृत मूलाचार, त्रिवर्णाचार, समयतसार्
प्राभृत, प्रामृतसार, प्रवचनसार, नियमसार, पञ्चास्तिकाय,
रयणसार, द्वादशानुप्रे्ना, आप्रमीमासा, रत्नकरण्डक्षावकाचार,
तच्वार्थमृत्र, सर्वार्थसिद्धि आदि अनेक सिद्धान्तग्रन्थोको आदस्को
दृष्िसे देखा जाता है। ह
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