प्राकृत-व्याकरणम भाग - 2 | Prakart Vyakarn Bhag-2
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
18 MB
कुल पष्ठ :
684
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)(८९१
४. पेशाची-भाषा-वर्णन ३०३ से ३२४
५ चूलिका-पैशाचिक-मापा-प्रदशन ३२५ से ३२८
६ अपभ्रश-भाषा-स्वरूप-विधान ३२९ से ४४६
ও प्राकृत आदि मापाभो मे “त्यत्यय” विधान ४४७
= शोप साधनिका में सस्कृतवत्” का सविघान ४४८
४६१
४७१
४७५
२९१
५६२
नोट -(१) अपदेश प्राप्त प्राहत-घातुबा को तीन श्रेणियों मे विभाजित क्या जा सकता है, जो कि क्रम से इस
प्रकार हैं --
(१) कुछ ' तत्सम” की कोटि की है, (२) कुछ 'तद्भव” रूप वाली हैं और (३) कु देशज” पेणो
वाली हैं ।
(२) मूल्त प्राकृत-भाषा का नाम महाराष्ट्री” प्राइत है और शेष भाषाएँ सहयोगिनी प्राइत-मापाएँ कही
जा सकती हैं |
(३) जैन-प्रागमा को भाषा मूलत “अध-मागधी' है, परन्तु इसका आधार *महाराष्ट्री-प्राइत” ही है ।
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