नीबू नारंगी | Nibu Narangi
श्रेणी : कृषि, तकनीक व कंप्यूटर / Computer - Technology
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
21
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ६२ )
से अंकुर फूर निकलते हैं ता उनको नोचते रहते हैं क्योंकि
इनके निकल आने से पावे की बढवार में वाधा पड़ती है ।
घरती की जोत निराई ओर सियाई की ओर ध्यान दिया
ज्ञाय तो बीज बोने से तीसरे व में पोदा फल देने लगता है
अर आड वप अच्छा तरह देता रहता है उसके पीछे फल
कप्रज़ोर होने छगते हैं। जिव समय पोदे से पैदा वार कम होने
लगती है तो पेड़ों के बीच की धरती में नई कलम लगाई
ज्ञाती हैं और जब थे तोन चार चघष की हो ज्ञाती हैं तो पुराने
पेड़ों को काट देते हैं । सन्तरे के पेडे १६ से २० फुर सक
ऊंचे होते हैं और उनके धड़ ३० इंच घिराव में और पेड़ के
मस्तक का थेरा ७० फुट तक का होता है। जब पेड़ पूर्रा
बहार पर होता है तो १००० फल तक दै जाता है । परन्तु पेड़ों
परके अधिक फलों के! यदि साली नोच लिया कर तो बाकी
अधिदछ ज़ोर से बढ़ते है ॥
सन्तरे का पेड पक वषमे दासमय फूल देता है अथात
जुलाई और फरवरी में | जून जुलाई का फूला पेड़ फरवरी में
फल देवा है और दूसरी समय दिसिम्बर जनवरी में फल पकता
है। चतुर माली दोनों ऋतु का फल नहां ठेते क्योंकि दो
फउल लेने से पेड कमज़ोर पड़ जाता है ओर शीघ्र मर जाता
है । इस लिए एक समय ही फल लेने के लिए चतुर माली
हल प्रकार बतते हैं। चौमासा प्रारम्भ होने से पूथ अच्छे पेड़ा
के चारों ओर दो २ फुट धरती छोड़ पेड़ के खोगिरद दो फुट
चौड़ी और दो फुट गहरी खाई खोदते हैं पर यह खाई पांच वष
से कम उमर के पेड के लिये नहीं खोदते | खाई खोदने में
यह ध्यान अं रछा जाता है कि बड़ी बड़ी तो बची रहें
फेचल छोटे छोटे तंतू कर जांय । जब तक पेड़ में रत अढ़ना
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