किशोरियो का मानसिक विकास | Kishoriyan Ka Mansik Vikas
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
181
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)किशोरियों का मातसिक विकास श्ट
सपने मन में मेजोनी हृं । कंसो-कंसौ कन्यनाजसे धिर रहती हं ।
कितना अच्छा सगता है बाहर कालेज से ? नही, सबके बीच नही, सिर्फ
अपनी सहेलियो के धर | या फिर लीना के साथ भूमते हुए । उसके बाद
तो किस तरह निराशा के भंवर में डूबकर, टूटकर घर को देहरी पर पाँव
रनौ टु, यह मेरे सिवाय कौन जानता है ?
देहरी ! उस दिन लीना कह रही थी, 'घव राओ नही लता, किशों रा-
वस्था को लाँघकर तरुणाई কী देहरी पर बदम रखते हुए यह सब होता
हो है । लेकिन अकेले मेरे साथ ही क्यो ? कया सीना इसी उम्र से नहीं
गुजर रही ? क्या वह सुझसे ज्यादा समझदार है ? शायद है। पर क्यो *
বন্যা इसीलिए नद्दी कि उसके घरवाले उसका साथ दे रहे हैं जबकि यहाँ ?
यहां तो जैसे चारो जोर शत्रुओ के वाड़े मे घिरी मैं अकेजो जूक रही
রব जाते कब तक जूमना होगा? व जाने कब राह मिलेगी ? राहुया
মুনির ? যত পী तो नही जानती कि राह खोज रही हूँ या मुक्ति २
घर में भय) कालेज में घय। मन में भय। सब गलत-गनत नहीं
होगा तो क्या होगा २ जानती हूँ, मुझमे गलतियाँ होती हे । कहना बुछ
चाहती हूँ, कह कुछ जाती हूँ । पछताती हूँ, पर गली बार फिर वैसा ही
हो जाता है मुभसते ॥ अपने पर वश उयो नड्ी रहा ? मल से याद किया
हुआ समय पर सब भूल क्यों जाती हूँ ? सब वाते । राकल्प। पढाई।
सगता है, माँ की यह रोकटोक, पिदाजी की डॉट और मेरे ये भय मुझे
फहों वा नही छोड़ें गे । पर इस तरह सिर पटकने से भी कया होगा ? कुछ
ফালা चाहिएं। बया कह ?े कुछ सूमला भो तो नही '
हाँ, एक बात ध्यान मे आ रही है । पता नही, पहले मे रा ध्यान इस
बात पर क्यों नही गया ?े सीना मेरी सहेली है, निकट सहेली। पर मैं
अध्ी उसे अन्तरग सटेली क्यो नहीं बना থাই? यह कया सहेवी बाला
वरायरी का रिश्ता है कि मैं उससे प्रभावित हो उसको तरफ खिचती
गहे 2 उसकी प्रशसा करती रहूँ? उससे ईर्ष्या करती रहूँ ? और उसे
लेबर मन-हो-मन हीन भाव से घिरती रहूँ ? कही इसोलिए तो में बरावरी
भी घाह लिए भी उसकी बरावरी कर पाने में असमर्ष नहीं रह जाती ?े
कहीं इसीलिए सो मेरी सारी हूँ सी-खुशी गायब नही हो जाती कि दै सीना
User Reviews
No Reviews | Add Yours...