किशोरियो का मानसिक विकास | Kishoriyan Ka Mansik Vikas

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Kishoriyan Ka Mansik Vikas  by आशारानी व्होरा - Asha Rani Vohra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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किशोरियों का मातसिक विकास श्ट सपने मन में मेजोनी हृं । कंसो-कंसौ कन्यनाजसे धिर रहती हं । कितना अच्छा सगता है बाहर कालेज से ? नही, सबके बीच नही, सिर्फ अपनी सहेलियो के धर | या फिर लीना के साथ भूमते हुए । उसके बाद तो किस तरह निराशा के भंवर में डूबकर, टूटकर घर को देहरी पर पाँव रनौ टु, यह मेरे सिवाय कौन जानता है ? देहरी ! उस दिन लीना कह रही थी, 'घव राओ नही लता, किशों रा- वस्था को लाँघकर तरुणाई কী देहरी पर बदम रखते हुए यह सब होता हो है । लेकिन अकेले मेरे साथ ही क्यो ? कया सीना इसी उम्र से नहीं गुजर रही ? क्या वह सुझसे ज्यादा समझदार है ? शायद है। पर क्यो * বন্যা इसीलिए नद्दी कि उसके घरवाले उसका साथ दे रहे हैं जबकि यहाँ ? यहां तो जैसे चारो जोर शत्रुओ के वाड़े मे घिरी मैं अकेजो जूक रही রব जाते कब तक जूमना होगा? व जाने कब राह मिलेगी ? राहुया মুনির ? যত পী तो नही जानती कि राह खोज रही हूँ या मुक्ति २ घर में भय) कालेज में घय। मन में भय। सब गलत-गनत नहीं होगा तो क्‍या होगा २ जानती हूँ, मुझमे गलतियाँ होती हे । कहना बुछ चाहती हूँ, कह कुछ जाती हूँ । पछताती हूँ, पर गली बार फिर वैसा ही हो जाता है मुभसते ॥ अपने पर वश उयो नड्ी रहा ? मल से याद किया हुआ समय पर सब भूल क्यों जाती हूँ ? सब वाते । राकल्प। पढाई। सगता है, माँ की यह रोकटोक, पिदाजी की डॉट और मेरे ये भय मुझे फहों वा नही छोड़ें गे । पर इस तरह सिर पटकने से भी कया होगा ? कुछ ফালা चाहिएं। बया कह ?े कुछ सूमला भो तो नही ' हाँ, एक बात ध्यान मे आ रही है । पता नही, पहले मे रा ध्यान इस बात पर क्यों नही गया ?े सीना मेरी सहेली है, निकट सहेली। पर मैं अध्ी उसे अन्तरग सटेली क्यो नहीं बना থাই? यह कया सहेवी बाला वरायरी का रिश्ता है कि मैं उससे प्रभावित हो उसको तरफ खिचती गहे 2 उसकी प्रशसा करती रहूँ? उससे ईर्ष्या करती रहूँ ? और उसे लेबर मन-हो-मन हीन भाव से घिरती रहूँ ? कही इसोलिए तो में बरावरी भी घाह लिए भी उसकी बरावरी कर पाने में असमर्ष नहीं रह जाती ?े कहीं इसीलिए सो मेरी सारी हूँ सी-खुशी गायब नही हो जाती कि दै सीना




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