बीस प्रश्नों के उत्तर | Bees Prashno Ke Uttar

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Bees Prashno Ke Uttar  by दिग्विजय सिंह - Digvijay Singh

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about दिग्विजय सिंह - Digvijay Singh

Add Infomation AboutDigvijay Singh

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
( १४ ) हे होता है सर यड उमको ययायद्श सहों खरन कर्सजन्य है ॥ (१८ ) प्रश्न अचर् ट्रव्यका लघ्॒ण है जो स्थिलिमेंसहकारो हो यह पणथ्णी अलिव्यास है जे মুক্ত জীভ सिद्दुशिला के ऊपर मदे विराजमान षोगे उनके लोकाकाशसे खाहर छ्वोनेके कारण न तसो वहां अधमं द्रव्य होगा, जिससे स्थिति होसे न चमसं होगा जो उनकी गतिर्मे सहकारोषहो उनकी क्या दशा द्ोगी ? | ( उाक्षर ) गति पूर्वेल ख्याति परिणत समस्त जोष ओर पट्‌ गर्ल रो उद्ासो नपनमेसे यगयत्‌ स्थिलि सहकारित्व अधस दू- व्यकः হাজ্জ পু अततिव्याप्च नहीं क्पोकि यड रस्या प्‌ वीरम जाला हो नहीं । आपके वेश्येखिक्न दशन में पृण्त्ीका लक्षण रूप, रस, गग्य, स्पश वालो किया है न कि स्थिलिका सहकारी पना जापका दियादोष दोषाभास् छै अतः अधमं द्रव्यक्षा लक्षण লি हे । सुक्तजीव सितु शिलप्से वारक यो जम ऊचे लोकाकाश्रके भोलर हौ सबजक्षादि गुणोंसे यक्त शठ- रूप निजानन्दे मरन हैं ॥ (१९ ) प्रश्न-ज्णोष सुलिदशाको प्राप्त होता है या सूलि- सान्‌ शरीरको अपनो गाही या सक्ान बनाता हे सृतिका জাছাঘা क्या है ? जरा इसको बतलाख | ( उत्तर ) आत्साका पुटूगलकौ एक्ष पर्याय विशेष कममे पनादि कासे दन्य द्धै आर कवतक उसमे खन्ध रहता चै तवतक्र अमा मतिमान्‌ शरोरोको भौ रखता हप्र कथद्धुत्‌ मृतं शै क्योंकि धन्ध्मे सभय पद्‌ग्थेला किस प्रकार एकटव इोत! ह । स्पशे, रस, गन्य खीर वरेपनेको सत्ति कएतेहै जौर यह मूत्तिं पना पृदूगल दरव्यम हीह) ( २० ) प्रञ्च-आप ङे मुक भोव सिदुशिलासे बाहर जा- सकते हैं कि नहीं ! { ख्लर ) मुक्तजोब सिदुशिनासे वारह योजम मीर ऊचे लोकाकाशके अऋन्‍तलक ही जा सकते हैं। उससे बाद्दर नहीं, क्यों (कि आगे उनके मनने सहकारो कारणा धमे द्रव्य नहीं है। एक- यार मुक्तिस्थानर्मे मुक्तजीबोंके प्रतिष्ठित हो जाने पर य॒त नकषा ऊअायागसन कारणके अभावसे कभी रह होता ॥ वर दिग्विजयरसिंह । कबर दिग्वजयसिंह बीघूपुरा--इटाजह ५ _




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now