महात्मा टॉल्स्टोय के विचार | Mahatma Toolstay K Vichar

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Mahatma Toolstay K Vichar by महात्मा टॉल्स्टॉय - Mahatma Tolstoy

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ११ ) অক্ষত হী জনন ভীত अपनी मानसिक शक्ति की सघ से दद्ा कादिओों फी झाहिों की बढ़ाने और ভব জানন্ছ पक बनाने में न छगायें गे चंदिक, पस्थिम करने घालों ऐ मेहनत की कम करने में যম হাহ | शर्गपि श्रम से अगर व सो हिस्सा लेने लगेंगे भीर इस को अपने जीवन का জ্য कत्त प्य मान छे गे तो मनुष्य माय फे समस्त दोप नाश ग आयने भीर वह्‌ सपे सस्ते पर मस्तानी से चटनै लगे गे। यदि हमर अपनी मभीहुंदा शिन्दगी कायम रथस (जिस ३ हम झपि श्रम को नफरत की नियाद्द से ठेखते हैं और তি মাম करने से दूर रहते हैं) और इस के दोपों को भिदाने फा মী সহ আয নী যু বিত্ত घेसे ही मिप्फल होगा ससकि हम उस गाडी হী बचाने का प्रयत्न परें जिसके पहिये क्ासमान फी तरफ करके हम खौंच रहे हैं । हमारे प्रथ/्म निष्फल हँगे जब तक हम शोडी रसपधी नहीं फरते और पहियों की जमीन पर रख कर नहीं তাই । में छेखक फे इन विद्या से पिलकुछ सहमत हं। मेंतो यह कह गा हूँ कि एफ ज्ञमादा था जब एक आदमो दूखरे হম টা হ্যা ज्ारा घा। रद शादुतियों में भमहुप्यत्व का भाय बढ़ा तो उन्हीं ने एक दूसरे फो खाना छोड़ दिया। इस ठे पाद्‌ एष पेखा जमाना चाया ङ्व কি लोगों ने दूसरी की নন ঘটা क्रप्ताई को ज्षवर दस्ती छीनना शुरू फरदिया स्मर




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