सुख और सफलता के मूल सिद्धांत | Sukh Aur Safalta Ke Mul Sindhart

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Sukh Aur Safalta Ke Mul Sindhart by दयाचंद्र गोयलीय - Dayachandra Goyaliya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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२-सफलता की प्राप्ति के उपाय । अन्तर एक लकड़ी के लड़े ओर एक चलती हुई न न ॥ मीन में हे, शरथवा एक बंद घड़ी ओर चलती ¢ हुई घड़ी में है, वही न्तर स्च जीवन घोर सूटे जीवन में है । जिस परमार मणीन उम्ना समय तक उपयोगी ओर लाभदायक दहे, जव तक वह बराबर नियमित रूप से चलती है, भोर उसके तमाम पुरज ठीक ठीक काम करते है, उसा प्रकार जीवन उसी समय तक सुदर ओर उपयोगी है, जब तर उसके सम्पूर श्रग उत्तम रीति से नियमानुसार काम करते है। जिस मनुप्य का जीवन किसी नियम पर निर्धारित नही, जिस जीवन में शांति ओर समता नही, वह जीदन निष्फल है। ऐसे जीवन को हम सच्चा जीवन नहीं कहते । वह भृटा ओग निस्सार है। रतपव यदि सच्च जीवन कौ अयिलापा हे. तो नियमानुमार जीवन व्यतीत करना चाहिये। जिस प्रकार सन्नार पक नियम पर निर्धा- रित है, ओर उसमें प्रत्येक कार्य नियमानुसार होता है, उसी प्रकार मनुष्य को अपना जीवन नियमित बनाना चाहिये, अर्थात्‌ अपने जीवन की प्रत्येक घटना का विचार रखना चाहिये। सूख ओर बुद्धिमान मनुष्य में यही अन्तर है कि बुद्धि मान मजुप्य छोटी छोटी बातो की ओर भी पूरा पूरा ध्यान रखता है, परन्तु मूख मनुष्य उनकी कोई परवा नहीं करता । बुद्धि इस बात के लिये प्रेरणा ঙ




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