दक्खिनी हिंदी | Dakkhini Hindi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रबेशक २१ राष्ट्र कूट नरेश नपतुज्न का समय इ० ८१४-८७७ निर्धारित किया गया है । इन्होंने अपने प्रन्थ में विमल उदय नागाजंन जय- बन्धु और दुर्विनीत नाम के सर्वोत्तम गद्य लेखकों और श्रीविजय कवीश्वर पंडित चन्द्र और लोकपाल आदि सर्वात्तम कवियों का उल्लेख किया है । अवन्तितुन्दरीकथा के अनुसार भारवि दुर्विनीत के दबार में गए थे और इस लिये दोनों समकालीन माने जाते हैं । दुर्विनीत गांग नरेश थे और चालुक्य चंश के प्रथम नरपति विष्णणुवघन आर कांची के पल्‍्लव नरपति विष्णणुवधन के सहयोगी । इस तरह दुर्बिनीत का स्थितिकाल ६०० ई० के क़रीब पड़ता है | कन्नड़ से हो तत्त्वार्थ महाशास्र की एक टीका चूडामणि तुम्बुदराचाये कृत है । यह सातत्रीं सदी की समभी जाती है । कन्नड़ में शिलालेख पॉँचवीं सदी ई० तक के पुराने मिलने हैं । तेलगू भाषा का सब से पुराना ग्रन्थ भारत है। इसके रच- यिता पूरबी चालुक्य नरेश राजराज के राजकवि नान्नय्य भटूट थे । राजराज का समय १०२३--६३ इ० है । नान्नय्य भट्ट तेलगू भाषा के प्रथम व्याकरण-कार भी हैं । किसी भाषा में व्याकरण का बनना इस बात का ययोतक हे कि उस मसाषा में थोड़ा बहुत साहित्य रचा जा चुका है । शिला-लेखों की कबितामयी भाषा से भी इस बात का प्रमाण मिलता है । इनमें गुणगविजयादित्य ८४४- डे के लेख उल्लेख-योग्य हर केरल की भाषा १० वीं सदी इ० तक शुद्ध तामिल शेन्द- मिर रही इस कारण मलयालं का साहित्य बहुत पुराना नहीं मिलता । ट्रावकोर के नरेश श्रीराम का बनाया हुआ रामचरित मलयाल॑ का प्रथम ग्रन्थ समभा जाता है । श्रीराम १३ वीं सदी मं इए ।




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