बनारसी नाममाला | Banarasi Namamala

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रस्ताबना १३ ठीक जधास्थ उचित तथ “*मिथ्या श्रादि झकार ॥४६॥ इस 'नाममाला' कोषमें कोई ३५० विषयोंक नामोंका सुन्दर संकलन पाया जाता है, जिससे दिन्दीभाषा के प्रेमी येष्र लाभ उठा सकते ' हैं । कितने ही तो इस छोटीसी पुस्तककों सदज ही में कणठ भी कर सकते हैं । नामोमें दन्दी ( भाषा ), प्राकृत श्र संस्कृत ऐसे तीन भाषाओओके शब्दाका समावेश है; बाक़ी जानि, बस्वानि, सु, जान, तह इत्यादि शब्द पद्योमें पादपूर्तिके लिये. प्रयुक्त हुए हैं, यह बात कविने स्वयं तीसरे दोहेमें सूचित की है । इस कोषका संशोधनादि कार्य मुख्यतया एक ही प्रतिपरसे हुआ है, जो सेठका कूं या देदलीक जैनमं।दरकी पुस्तकाकार 1५ पत्रात्मक प्रति हैं, श्रावण शु० ससमी संवत्त्‌ ५. सत्यके नामोंकी श्रादि में 'ऑकार जोड़ देनेसे मिथ्याक नाम दो जाते हैं |




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