हिंदी रस गंगाधर | Hindi Ras Gangadhar
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
9 MB
कुल पष्ठ :
430
श्रेणी :
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लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
गोकुलनाथ - Gokulnath
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श्रीपुरुषोत्तम शर्मा चतुर्वेदी - Shree Purushottam Sharma Chaturvedi
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)[ १३ |
तथा उसके पुत्र दाराशिकाह* की छत्रच्छाया मे ही व्यतीत
हुआ धा । शाही जमाने के संस्कृव-पंडितों मे हम इन्हें
परम भाग्यशाली मानते ई, क्योकि 'तख्तताऊसः श्रौर
ताजमहल” आदि परम-रम्य वस्तुनो के वनवानेवाल्े और बड़ी
भारी शान-शाकत से रहनेवाले सार्वमैौम शाहजहाँ के उस
शक्रोपम वैभव के भोग मे इनका भी एक भाग था |
'संग्राम-सार”र और 'रस-रहस्य'र भादि भरथो के
निर्माता, जयपुर-नरेश श्रीरामसिंहजी प्रथम के धित, बरजमाषा
के सुप्रसिद्ध कवि माथुर चतुर्वेदी श्रोकुल्षपति मिश्र, जो आगरे के
रहनेवाले थे, इनके शिष्य थे और इन पर उनकी झत्यंत श्रद्धा-
भक्ति थी। इसके प्रमाण मे इम सिंश्राम-सार! से दे पद्च
उद्धृत करते हैं। बे ये हैं--
शब्द-जोग में शेष, न्याय गोतम कनाद मुनि ।
सांख्य कपिल, अरु व्यास ब्रह्मपथ, कर्म॑नु जैमिनि ॥
वेद् श्चग-जलुत पड़े, शील-तप शपि वसिष्ठ सम ।
अलंकार-रस-रूप अष्टभापा-कविता-क्षम ॥
१--“जगढ़ामरण” नामक ग्रंथ मे दाराशिकाह का ही वर्णन है ।
२---समाम-सार' वि० सँ १७३३ मे बना था, यह म० म०
ओगिरिधरशर्मा चतुर्वेदीजी के पिता कविवर श्री गोकुलचंद्रजी का
कथन है ।
३---.'रस-रहस्थ” का समय ते कवि ने ख्यं ही लिखा है---'सबत्
सन्नह सौं वरष ( अरु ) बींते सत्ताईसल । कातिक वदी एकादशी बार
बरनि वानीश ।? ( रसरस्य, अष्टम -वृत्तांत, पद्य २११ )
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