अपराजितेश्वर शतक [उत्तर खण्ड] | Aparajiteshvar Shatak [Uttar Khand]
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
542
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)दो शब्द
परमपूज्य तपोनिधि वि्यालकार बालब्रह्मवारी भौ १०
आचार्य देशभूषणश जी महाराज ने देहली जैन समाज की झोर
से प्रार्थना करने पर लखमीचन्द कांगेजी व शभूनाथ कागजी के
ह्वारा जयपुर से विहार करके ता० २६ मई सन् १६५५ तदनुस्गर
जेष्टशुक्ला ८ सम्वत् २०१२ वीर स०२४८१ रविवारको प्रात काल
जयध्वनिके साथ श्री दि० जैन मन्दिरजी बडा कूचा सेठ देहली में
पदार्पण किया । देहली के बाजारों मे से विराट जलूस के साथ
देहली की अपार जनता आचाये श्री का स्वागत करने के लिये
हज़ारों की संख्या मे उपस्थित थी।
देहल्ली जेन समाज के प्रमुख २ सञ्जनो तथा समस्त तैन
समाज की प्राथना पर आचार्य श्री ने चातुर्मास करने री स्वी-
कारता प्रदान की । चातुर्मास के अन्तर्गत आचाये श्री ने अपनी
शमृतमयी बाणीसे उपदेशद्वारा जेन व अजैन दरेकमानव प्राणियों
को कल्याण के मार्ग पर लगा दिया | यहा तक कि महाराज श्री
के असृतमयी उपदेश की घोषणा को सुनकर भारतवर्ष के प्रमुख
सेठ श्री ज़ुगलकिशोर जी बिडला मद्दाराज के दशेनाथ करे बार
पधारे ओर आपकी दिव्यवाणी को सुनकर इतने प्रभावित हुये कि
मद्दाराज भी का सालुरोध प्राथंना करके अपने विलदा मनद्र নই
देसी में उपदेश कराया जिसमें जैन भजन कई हजारोंकी संख्या
सें उपस्थित भे ।
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