शिक्षा सिद्धान्त | Principles Of Education
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
302
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
भाई योगेंद्र जीत बहुत ही विद्वान शिक्षाविद थे। उन्होंने किताबें लिखी हो सकती हैं। आगरा से अपने करियर की शुरुआत की और अंतिम रूप से प्रिंसिपल जियालाल इंस्टीट्यूट ऑफ एजुकेशन (B.Ed) रामगज अजमेर (राजस्थान) से सेवानिवृत्त हुए। उनका जन्म 1921 में यवतमाल महाराष्ट्र में हुआ था और पुणे महाराष्ट्र में 91 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया था। उन्होंने प्रसिद्ध विद्या भवन उदयपुर से एमएड किया और योग्यता में द्वितीय स्थान पर रहे।
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)3३.)
কির. ভি 7 1০
स्थान दिया गया है । बालकों के लिए, माता-पिता के बाद झाज्रायं हूं
पूजनीय समझा जाता था। बालक गुदकुल में शुद्ध के परिवार का ही एए
सदस्य वन कर रहता था छोर अपना विकास करता था। थुरु की कृपा ६
उसके लिए वरदान थी । जीवन के भन्तिम ध्येय निश्वेषस वी शोर ले जा
वाला गुरु ही था। ऐसा शिक्षक कितने उच्च विचारों শালা, বানি
सुबौग्य तथा ज्ञान सापन्न होगा, इसकी हम कल्पना कर सकते हैं। इसी लि
तो 'कदीर ने भी कहां है _-
गुरू गोविन्द दोऊ खड़े, काके लागूँ पांय
धन्य-धन्य गुर प्रापणे, गोविन्दं दिया मिलाय 1
पाठ्यक्रम --यह न तो विद्यार्थी रूपी तत्व का एक भाग है
भौर न हो भ्रध्यापक रूपी तत्व का एक श्रग। पाद्यक्रप दोनों को
मिलाता.है সাং उनके कार्यों की सीमा निर्धारित करता दै। इस के द्वारा
यह निश्चित जिया जाता है । कि दोनो को कया करना है। पाद्यत्रम व्यक्ति
की ग्रभिलाषाओ, विचारों, क्रियाकलापों तथा परिणामों का समूह है शिसको
प्राघार मात्र कर प्रागामी पीढ़ी को शिक्षा दी जाती है। जंसी शिक्षा एक
राज्य या जाति को सुदृढ़ बनाने के लिए सर्वेधा उपयुक्त है, वेसी ही शिक्षा
सब की दी जाती है। इस दृष्टि से एक सन्त्रीय राज्य शौर प्रजातत्वी
राज्य दोनों के पाठ्यक्रम में बडा भन्तर होगा। प्रजातम्तीय राण्य म सभी
को विकास का पूर्ण प्रवसर होगा । प्रतः पाठ्यक्रम का शिक्षा को दृष्टिसे
बड़ा महत्व है। व्यक्ति शिक्षा प्राप्त बरता है परन्तु वह शिक्षा कया है भौर
कैसे प्राप्त की जा सकती है, प्राठयक्रम इसकी सीमा बताता दै ।
भ्रन्त में हम कह सकते हैं कि शिक्षा की प्रत्रिया जि-मूखी (1'11-..0137)
है, जिसमें शिक्षक, शिक्षार्वी तथा परादयक्रम इन तौनों तत्वों का भरपना-भपना
अलग स्थान है |
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