श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह तृतीय [भाग-३] | Shri Jain Siddhant Bol Sangrah [Bhag-3]

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Book Image : श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह तृतीय [भाग-३]   - Shri Jain Siddhant Bol Sangrah [Bhag-3]

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह द्वितीय माग पर सम्मतियों शस्थानकषासी चेन! अइमदाशाद ता० ४-१-४ ६ ६० प्री चैम सिद्धास्त बोल संमद दितीय भाग छट्टा और सातवां बोक्ष | संप्रहकर्ता-रोठ सेराइानजी शेठिया, बैन पारमार्मिक संश्णा धीकानेर | पाकु पुदु , मोटी साई, प्र संङ्पा ४५२। जैन भागमो मौ (१) रव्यायुयोग (९) गण्पितामुपोग (३) कणामुमोग शमने (४) भरणारणामुमोग एवा जार জিলানী থাবা मो माभ्या घ तेमां सौबी प्रथम प्रव्यानुयोग छ जेन चाण भावक साघु बर्गे सौजी मलम करषानु होय छे । भरे साखपणा पद्वीज व्री জি লা बाखल सती श्ञान विकास बाय हे ए्पादुपोगपटलते जेन चमे शु तस्वषटान । तस्बह्ठान ना फेकाषा मारे श्म प्रयत्नो करवा मोर्ईए । श्रीमान शंठ मैरोदानजी जैन तस्थक्षान आखमा भने जनता ने अंणागमा केरला दुरु ते श्ना परादान परी अयाय शे । ऐभोए भवम माग प्रसि करी पकणी प्रं पोल समीयु बतान्त भगा মাত इतु । भागे दला भने सातं बोल गु शृ्तास्त श्या प्रस्थ द्वारा अपाय के । भा पुस्तक ने पांच माग मां पणं श्रवा शष्पा यजे, पण लेन क्वाम मंडार समझ दोशा थी कैम खेम बथारे अगद्नोकन वतु शाय छे तैम तेम बष्ठारे रत्नो घापडता जता दोर इबे जारवा मां भावे के के कपष पूणो करता बुरा मागषण बाय। खान पू मां १-२-३-४-भ मेषा णोघ्रो मजरे पढ़े छे पण ते संपूर्ण म दोई शेठियाजीओे मदद परिश्रम हाया अनेरू विद्याम सापूर्भों ने अनेक सृज़ो माप्सो, टीका अन॑ ूर्सबराजा भरागमोसो भाभय




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