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Installment by भगवतीचरण वर्मा - Bhagwati Charan Verma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रेजेन्ट्स रहे थे । अंगढ़ाई लेकर उठा खिड़की खोली । सूये का प्रकाश कमरे में आया । रात को ज़रा अधिक देर तक जगा था-सर में शायद उसीसे दर्द हो रहा था । ड्रेसिंग टेबिल में लगे हुए आइंने में मैंने अपना मुख देखा सिफ़े आँखें कुछ लाल थीं और चेहरा कुछ उतरा हुआ । एकाएक मेरी दृष्टि डरसिंग टेबिल के कोने में चिपके हुए काऱाज के टुकड़े पर पड़ गई । उसमें कुछ लिखा हुआ था । उसे पढ़ा अगरेजी में लिखा था प्रकाश चन्द्र । यह प्रकाश चन्द्र कौन है? में इसी पर कुछ सीच रहा था कि मैंने शशि- बाला देवी का वेनिटी बाक्स देखा । वैसे तो वेनिटी बाक्स कई बार ऊपर से देखा है उस दिन उसे अन्दर से देखने की इच्छा हुई | पाउडर क्रीम लिपस्टिक ब्राउ-पेंसिल आदि कई चीजें सजी हुई रकक्‍्खी थीं । सब को उलटा-पुलटा । एकाएक वेनिटी वाक्स की तह में एक कागज चिपका हुआ दिखलाई दिया जिसमें लिखा था सत्यनारायण । वेनिटी वाक्स बन्द किया लेकिन प्रकाश और सत्यनारायण--इन दोनों ने मुभे एक अजीब चक्कर में डाल रक्‍्खा था । एकाएक मेरी दृष्टि कोने में रक्‍्खे हुए श्रामो- कोन पर पड़ी । सोचा एक-आआध रिकाडे बजाऊँ तो समय कटे । प्रामोफ़ोन खोला और खोलने के साथ ही चौंक कर पीछे हटा । अन्दर ऊपर वाले ढकने के कोने में एक कागज़ चिपका हुआ था जिस पर लिखा था ख्याली राम । वहाँ से हटा हारमोनियम बजाने की इच्छा हुई । घोकनी में एक कागज़ था जिस पर लिखा था-- भूटा सिंह । चुपके से लौटा कपड़े पहिने लेकिन जूता




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