सरल पारिवारिक चिकित्सा | Saral Parivarik Chikitsa
श्रेणी : स्वास्थ्य / Health
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4.94 MB
कुल पष्ठ :
269
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)फालेरा या हैजा । ष््
है । अकड़नकी बज्दसे पेरमें बेहद दुर्दे रदनेपर भी यह
उपयोगी है ।
सिकेलि-कोर ३८ ६४, ३०-शरीर बर्फकी
तरह ठरडा, परन्तु रोगी वबदनपर कपडा नहीं रखना चाहता;
त्वयाके नीचे कीड़ा रेंगनेकी तरह सुरखुरी मालूम होना;
ऐंठन। यदि अकड़न या ये ठनमे कयूप्रमसे छाभ न हो तो यह
दवा देनी चाहिये, पर पे ठननें दोनों ददाओंमें प्रभेद है ।
क्यूप्रममें संकोचनी पेशी्मे ( 11607 फ्पउले ) मे अकड़न
होती है. अर्थात् हाथ-पेरकी अंगुलियाँ सामनेकी ओर रेढ़ी
पड़ ज्ञाती हैं, पर सिकेलिमें प्रसारक पेशी्में (6४/०050ए
शाषाइए6 ) में ऐंठन होती है । इसलिये अँगुदियाँ पीछेकी
ओर रेढ़ी पड जाती है। छाती पठन होकर रोगीकी
साँस रुक ज्ञाना चाहती हे ।
कार्बो-वेज ३०, २००--यह हिमांग अवस्था अथात्
शीत भा जानेकी प्रधान दवा है । नाड़ी लोप, समूचा शरीर
. ठण्ड, साँसतक ठणडी, पेर फूलना, हेजाकी अन्तिम अवस्था
/ के उपसर्गामि यह उपयोगी हैं। चेहश मलिन, आँखे गड़ह
में घेंसी, शरीर नीछा,; साँस लेने और छोड़नेकी चाल तेज,
सेगी हवा करने कहता है। हमरेजिक कालेगा अथांत्
जिसमें खूनके दस्त के आते है, उनमें कार्वोवेज अधिक
फायदा करता है। यदि पलोपधिक मतसे फेलोसेडका
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