प्रतिनिधि हास्य कहानियाँ | Pratinidhi Haarasy Kahaaniyaan

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Pratinidhi Haarasy Kahaaniyaan by श्री कृष्ण मनमोहन 'सरल' - Shri Krishna Manmohan 'Saral'

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ঈন্ভবা ओर विशेषकर हास्य कहानी का अच्छा लगना तो अपनी व्यक्तिगत रुचि पर ही निर्भर हे | हमें आशा है कि प्रत्येक प्रकार की रुचि के पाठकों को अपनी पसन्द की कहानियां प्रचुर मात्रा में मिल सकेगी । इस संग्रह की योजना तीन वष पूर्व बनाई गईं थी किन्तु कागज की तंगी के कारण यह विलम्ब से प्रकाशित हो रहा है । इस अवधि में इन लेखकों ने कई इनसे अच्छी रचनाएं भी लिखी होंगी, हिन्दी-हारय-साहित्य ने भी नये प्रयोग उपरिथत किये हैं किन्तु उनका दिग्दशन कराना इस संग्रह की सीमाओं से बाहर की बात हो चुकी हे । इसलिए इस तरह की किसी कमी के लिए सम्पादकों को दोषी न ठहराने की आशा अपने विज्ञ पाठकों ओर सहदय समालोचकों से हमें है। सम्पादन, निवांचन, संचयन आदि मे व्यय किये अपने श्रम की चर्चा करना उचित नहीं जान पडता । यह तो सुस्पष्ट ओर सहज अनुभव करने की बात है । जितना कुछ श्रम हुआ भी है, वह सफल तो तब कहा जायेगा, जब यह संकलन भ्रेमी पाठकों द्वारा पसन्द किया जायेगा ओर सुथी आलोचनकों द्वारा इसे मान मिलेगा । इस महत्‌ योजना के सफलतापुवक पूरा होने में मेसस॑ आस्माराम एण्ड संस के संचालक श्री रामलाल पुरी का पूरी रुचि लेना बहुत महत्त्वपूर्ण रहा है। स्नेही लेखकों ने भी अपना रचनात्मक सहयोग देकर हमें बल प्रदान दिया हे । चित्रकार दधु योगेन्द्रकुमार लल्ला के श्रम का परिचय तो संग्रह को सज्जा रवयं दे देगी । इन सबके प्रति आभार-प्रदर्शन सम्पदक अनिवायें समझते हैं । “मनमभाहन सरल -- श्रीकृष्ण




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