बन उपबन के पक्षी | Ban Upvan Ke Pakshi

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Book Image : बन उपबन के पक्षी  - Ban Upvan Ke Pakshi

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about जगपति चतुर्वेदी - Jagapathi Chaturvedi

Add Infomation AboutJagapathi Chaturvedi

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
রী মা দ্থিশী নী बुद्धि सिलाई खुलने न देने की व्यवस्था कर भी घोंसला बनाते पक्षी हमें मिलते हैं | किसी काष्ठलंड की कूची सी बना कर कोयले के चूर्ण को अपनी लसिका में लिंचित कर घोंसले को भीतर से रंग लेने वाले चित्रक पती भी मिलते हैं। दृत्यशाला सजाकर उसमे दत्य करने वाले पक्षी दम्पति भी मिलते हैं, परन्तु जिस प्रकार हमारे अनजाने मस्तिष्क का ` कोद भाग हमारी अंतर्क्रियाओं का नियंत्रण करता है, अद्भुत रूप से शारीरिक यंत्र को रसेमाले रखने का विधान रखता है, उसी प्रकार पत्तियों के ये सभी कौशल-प्रदर्शन अथवा आवश्यकता-पूर्ति के दैनिक या असा- धारण कार्य केवल प्रकृतिदत्त अंतर्मावना से खतः चालित होते रहते हैं। पत्ती ऊहापीह में कभी नहीं पड़ता | वह वो इन अ्ंतर्भावनाओं का दास बनकर ही एक मागं का अवलंब कर ये सत्र काय संचालित करता जाता है | इन कार्यों का स्तर चाहे जितना ऊँचा है, कौशल चाहे जितना '.. अधिक प्रतीत हो, परन्तु वे बुद्धिजन्य न होकर पत्षियों की अंतर्भावना के . फल होते है। यही कारण है कि चोर कौआ को हम अंतर्मावना से _ अरित होऋर आँख बंद किए ही वृक्ष कोटर को भरते जाने का उद्योग सपाहं करते पा सकते हँ । वह विशेष परिस्थिति में अपना विवेक प्रयुक्त कर निरथंक श्रम से बचने का मार्ग निकाल सकने में सर्वधा अ्रक्षम होता है । द कक मैन नामक वैज्ञानिक ने एक विलक्षुण प्रयोग किया था। काल शीष गंगाचिल्ली ( ढोमड़ा ) प्ली में जब्र सन्तानोत्यादन भावना जागृत द्यो उठती है तो उसके सम्मुख पत्थर का ढोंका फेंकने पर भी उसे अंडे की भाँति सेने का उपक्रम करते पाया जाता है। कोई टिन का खाली । डिव्वाही फक कर उसके निकट कर दिया जाय तो वह उसे ही छाप कर :. अंडे की तरह सेने बैठ जाता है। इस कत्य में वह उल्लास का अनुभव ~ करता है। प्रकृति ने जो अंतर्भावना प्रदत्त को है उसका अंध अनुगमन . का ही यह परिणाम होता है। अंडे सेए जाने के लिए यह प्रकृतिदत्त




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now