गुणों की खान तुलसी | Gunon Ki Khan Tulasi
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
102
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)तुलसी की उपादेयता / १४५
के तुलसी (ओ सिमुम)गण में साठ जातियों के पौधो को ढूढ़ निकाला
है। ये जातियां भारत, अफ्रीका, अरब और ब्राजील आदि गरम
प्रदेशों में मिलती हैं । पुनरवेसु आत्रेय ने अपने ग्रन्थ में नो जातियों
के चिकित्सा में उपयोग लिखे हैं। इनके नाम थे हैं--सुमुख,
सुरस, कुठे रक, अजेंक, गण्डीर, कालमालक, पर्णास, क्षेवक और
फणिज्कक ।
तुलसी गण में तीव्र सुगन्व वाले क्षुप या छोटी भाड़ियों के
सदृश पौधे होते है । इनमे. पत्ते सादे, एक दूसरे के सामने भीर्
भ्रन्थियों से युक्त होते हैँ । फूल छोटे और चक्र में लगते हैँ। एक
चक्र में छह.से दस तक फूल हो सकते हैं। एक लम्बी सीख पर
बहुत-से, चक्र लगंकर वह रचना बनाते हैं जिसे मज्जरी
कहते हैं।
इस गण की जातियां उत्तेजक, दीपक, आमवाताहर, स्वेद-
- जमक ओर ज्वरनाशक हूँ। भूमण्डल पर' निम्नलिखित जातियां
ओपदध प्रयोग में इस्तेमाल होती हैं--
, यूरीप में (वर्बरी ओसिमुम वेसिलिकुम लिन.) और राम-
রি तुलसी (ओसिमुम ग्रेटिसिमुम लिन).1
* चीन और हिन्दचीन में बवंरी।
~ /, जापान और मलाया में,ओसिमम क्रिस्पम थम्ब।
» फ़िलिपीनी द्वीपों में तुलसी, बब री और रामतुलसी ।
गायना, में ओसिमम माइक्रेन्थम विल्ड 1
ब्राजील में रामतुलसी, अजेक (ओसिमुम केनुम सिम्स)
.. ` . भौर ओसिमम माहकेन्थम ।
আন
« मिनी और নিন
चिस्डे (चव ।,
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