गुणों की खान तुलसी | Gunon Ki Khan Tulasi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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तुलसी की उपादेयता / १४५ के तुलसी (ओ सिमुम)गण में साठ जातियों के पौधो को ढूढ़ निकाला है। ये जातियां भारत, अफ्रीका, अरब और ब्राजील आदि गरम प्रदेशों में मिलती हैं । पुनरवेसु आत्रेय ने अपने ग्रन्थ में नो जातियों के चिकित्सा में उपयोग लिखे हैं। इनके नाम थे हैं--सुमुख, सुरस, कुठे रक, अजेंक, गण्डीर, कालमालक, पर्णास, क्षेवक और फणिज्कक । तुलसी गण में तीव्र सुगन्व वाले क्षुप या छोटी भाड़ियों के सदृश पौधे होते है । इनमे. पत्ते सादे, एक दूसरे के सामने भीर्‌ भ्रन्थियों से युक्त होते हैँ । फूल छोटे और चक्र में लगते हैँ। एक चक्र में छह.से दस तक फूल हो सकते हैं। एक लम्बी सीख पर बहुत-से, चक्र लगंकर वह रचना बनाते हैं जिसे मज्जरी कहते हैं। इस गण की जातियां उत्तेजक, दीपक, आमवाताहर, स्वेद- - जमक ओर ज्वरनाशक हूँ। भूमण्डल पर' निम्नलिखित जातियां ओपदध प्रयोग में इस्तेमाल होती हैं-- , यूरीप में (वर्बरी ओसिमुम वेसिलिकुम लिन.) और राम- রি तुलसी (ओसिमुम ग्रेटिसिमुम लिन).1 * चीन और हिन्दचीन में बवंरी। ~ /, जापान और मलाया में,ओसिमम क्रिस्पम थम्ब। » फ़िलिपीनी द्वीपों में तुलसी, बब री और रामतुलसी । गायना, में ओसिमम माइक्रेन्थम विल्ड 1 ब्राजील में रामतुलसी, अजेक (ओसिमुम केनुम सिम्स) .. ` . भौर ओसिमम माहकेन्थम । আন « मिनी और নিন चिस्डे (चव ।,




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